भारत में लगभग 52 प्रतिशत संगठनों ने कहा कि वे पिछले 12 महीनों में एक सफल साइबर हमले के शिकार हुए हैं। मंगलवार को जारी एक सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है। ग्लोबल साइबर ( Global cyber ) सिक्योरिटी कंपनी सोफोस ने सर्वेक्षण में बताया कि सर्वे में शामिल 71 प्रतिशत संगठनों ने स्वीकार किया कि वह एक गंभीर या बहुत गंभीर साइबर हमले थे और 65 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें स्थिति को ठीक करने में एक सप्ताह से अधिक समय लगा।
एशिया प्रशांत और जापान में 900 बिजनेस डिसिजन मेकर्स का अध्ययन, कोविड-19 के डिजिटलीकरण की त्वरित अवधि को इंगित करता है।
साइबर हमलों में फ्रीक्वेंसी से लेकर गंभीरता के मामलों में वृद्धि हुई है। 2019 और 2021 के बीच राजस्व के प्रतिशत के रूप में साइबर सुरक्षा बजट काफी हद तक अपरिवर्तित रहा।
उसी समय, भारत ने उन कंपनियों के उच्चतम प्रतिशत की सूचना दी, जिनके पास एक स्वतंत्र सुरक्षा बजट है।
इसके अलावा, वे उम्मीद करते हैं कि अगले 24 महीनों में साइबर सुरक्षा पर खर्च किए जाने वाले प्रौद्योगिकी बजटों का प्रतिशत 9 प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो जाएगा।
सोफोस इंडिया और सार्क में बिक्री मामलों के प्रबंध निदेशक सुनील शर्मा ने एक बयान में कहा, “साइबरब्रेक एक वास्तविकता है जिसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। एक संगठन के भीतर, हमेशा कई खतरे होंगे, जो विभिन्न कमजोरियों का फायदा उठा सकते हैं और पूर्ण विकसित साइबर ( cyber )हमले कर सकते हैं।”
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उन्होंने कहा, “इन खतरों को रोकने का एकमात्र तरीका उन पर सक्रिय रूप से नजर बनाए रखना और उन्हें बेअसर करना है।”
कुल मिलाकर एशिया पैसिफिक और जापान (एपीजे) के 44 प्रतिशत संगठनों ने 2020 में डेटा में सेंधमारी का सामना किया, जो 2019 में 32 प्रतिशत था।
इन सफल साइबर( Cyber ) हमलों में से 55 प्रतिशत कंपनियों ने बहुत गंभीर या गंभीर श्रेणी के हमलों की पुष्टि की है।
जैसे कि साइबर ( Cyber ) हमले बढ़ रहे हैं, रिपोर्ट में पाया गया कि अगले 24 महीनों में मालवेयर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/मशीन लनिर्ंग-चालित हमले और राष्ट्र-राज्य हमले साइबर सुरक्षा के लिहाज से सबसे गंभीर खतरे के तौर पर उभरेंगे। ( AK आईएएनएस )