इंदौर के जेल में दस दिन बिताने के बाद नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा गुरुवार की रात को जमानत पर रिहा हो गए। रिहाई के बाद कंप्यूटर बाबा ने सिर्फ सत्य की जीत की बात कही और उसके आगे कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
राज्य में कमल नाथ की सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल करने और सत्ता बदलाव के बाद बगावती विधायकों के खिलाफ खुले तौर पर मोर्चा खोलने को लेकर, भाजपा को घेरने की कोशिश करने वाले कंप्यूटर बाबा मुसीबतों में घिरते चले गए थे।
कहा जाता है कि उनके तेज दिमाग के कारण दिग्विजय सिंह ने उन्हें कंप्यूटर बाबा का नाम दिया था।
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2018 में लोगों की नज़र में आए
कम्प्यूटर बाबा का नाम 2018 में पहली बार सुर्खियों में आया। उन्हें 2018 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही शिवराज सरकार ने राज्य मंत्री का दर्जा दिया था। नर्मदा घोटाला में मोर्चा निकालने की वजह से कंप्यूटर बाबा चर्चा में रहे।
इसके बाद भी कंप्यूटर बाबा किसी ना किसी तरीके से खबरों में बने रहे। कंप्यूटर बाबा ने 2020 में भारत में रह रहे नेपालियों को लेकर विवादित बयान भी दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने भगवान राम से जुड़ा विवादित बयान वापस नहीं लिया तो फिर भारत में रहने वाले नेपालियों को खदेड़ने का वह अभियान चलाएंगे।
आपको बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने भगवान राम को नेपाल का रहने वाला बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि असली अयोध्या भारत में नहीं नेपाल में है।
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नर्मदा घोटाला पर एक नज़र
मध्य प्रदेश में, करोड़ों लोगों का जीवन किसी ना किसी तरीके से नर्मदा नदी के साथ जुड़ा हुआ है। राजनेता इस बात को भली भांति समझते हैं। इसलिए शिवराज सिंह ने 2017 में एक योजना बनाई जिसके तहत नर्मदा बेसिन में पड़ने वाले 24 जिलों में 6 करोड़ पौधे लगाने की बात रखी गयी। दिन तय हुआ और सरकार के अनुसार उन्होंने एक दिन में 6 करोड़ से अधिक पौधे भी लगाए।
2018 में कंप्यूटर बाबा के साथ अन्य कुछ बाबाओं ने मिल कर इस अभियान को घोटाला करार दिया। और उन्होंने नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने की घोषणा कर दी। रथ यात्रा से कुछ दिन पहले ही शिवराज सिंह और बाबाओं की बैठक हुई, जिसके बाद कंप्यूटर बाबा और अन्य 4 बाबाओं को मध्य प्रदेश में राज्यमंत्री का पद सौंप दिया गया। इसके बाद कंप्यूटर बाबा ने अपना मत बदल दिया। नर्मदा घोटाला के खिलाफ रथ निकालने की उनकी मंशा, पद मिलने के बाद नर्मदा नदी की महत्वता का प्रचार कर रही थी।
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बाबा का दल बदल
इसके कुछ महीने बाद ही मध्य प्रदेश में सरकार बदलने पर बाबा ने भी अपना खेमा बदल लिया और कांग्रेस के साथ खड़े हो गए। कांग्रेस ने भी वही किया जो शिवराज सिंह ने किया था। नर्मदा विकास के लिए समिति बनाई और बाबा को उसमें शामिल कर पुनः राज्य मंत्री का भार सौंप दिया गया। दिग्विजय सिंह के समर्थन में उतरे बाब ने चुनाव प्रचार में प्रज्ञा सिंह ठाकुर का जम कर विरोध किया था। प्रज्ञा सिंह को ही साध्वी प्रज्ञा के नाम से जाना जाता है। साध्वी प्रज्ञा भाजपा की तरफ से मध्यप्रदेश के भोपाल – सीहोर लोकसभा क्षेत्र की सांसद हैं।
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बाबा पर लगे आरोप
आश्रम के निर्माण के लिए अवैध कब्जा
कंप्यूटर बाबा का जम्बूरी हप्सी गांव में गोमट गिरी आश्रम है। आरोप था कि आश्रम के निर्माण के लिए बाबा ने यहां पर अवैध कब्जा कर रखा था। अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न किए जाने पर प्रिवेंटिव डिटेंशन के तहत कंप्यूटर बाबा को पुलिस अभिरक्षा में लेते हुए जेल भेजने की कार्यवाही की गई थी। शासन द्वारा की गई कार्यवाही में कंप्यूटर बाबा सहित कुल सात व्यक्तियों को जेल भेजा गया था। हालांकि इंदौर नगर निगम के अधिकारियों ने 8 नंवबर को कंप्यूटर बाबा के आश्रम को ध्वस्त कर दिया है।
कहा जा रहा है कि पुलिस को आश्रम से बेनामी संपत्ति के कागजात, साथ ही साथ राइफल और एयरगन भी बरामद हुए थे।
रमेश तोमर से है रिश्ता
कंप्यूटर बाबा के आश्रम में एक कार भी मिली थी, जिसका मालिक रमेश तोमर निकला। बताया गया था कि जब प्रशासन ने इसकी छानबीन की तो पता चला कि रमेश तोमर के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और उसने विभिन्न स्थानों पर कब्जा कर भवनों का निर्माण कर रखा है। ऐसे बनाए गए भवनों को तोड़ने की कार्रवाई मूसाखेड़ी के इदरीस नगर में शुरू हो चुकी है।
जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज
हाल ही में बाबा पर एक प्रवेश द्वार बनाने के दौरान ठेकेदार और उसके मजदूरों से अभद्र व्यवहार और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज कराया गया था। वाक्या लगभग दो माह पुराना बताया जा रहा है। आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में बताया गया था कि श्री दिगम्बर जैन गोम्मटगिरी ट्रस्ट के सुपरवाइजर सुभाष दयाल ने गांधी नगर थाने में कंप्यूटर बाबा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायत के अनुसार, गोम्मटगिरी ट्रस्ट को ग्राम जम्बुडी हप्सी की भूमि पर देवधर्म का पुराना मंदिर बना हुआ है और इसी भूमि के रास्ते पर जैन समाज की ओर से गेट बनाने का कार्य किया जा रहा था। जब-जब इस गेट का निर्माण का कार्य ठेकेदार ओमप्रकाश के द्वारा प्रारम्भ किया जाता, तब-तब कम्प्यूटर बाबा और उनके गुंडे अनुयायियों द्वारा बलपूर्वक ओमप्रकाश ठेकेदार एवं उसके मजदूरों के साथ मारपीट कर उन्हें भगा दिया जाता रहा है।
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बाबा के नाम पर हुई राजनीति
बाबा के जेल जाते ही कांग्रेस नेता इसे आपसी मतभेद का कारण बताने लगे। कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने किए अपने एक ट्वीट में शिवराज सिंह पर निशाना साधा।
दिग्विजय सिंह ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि, कंप्यूटर बाबा का क़सूर केवल इतना भर है कि उन्होंने लोकतंत्र को बचाने के लिए यात्रा की थी।
ज्ञात हो कि कंप्यूटर बाबा ने भाजपा के खिलाफ लोकतंत्र बचाओ का नारा लगाते हुए यात्राएं निकाली थीं।
असल में राज्य में जब कांग्रेस की कमल नाथ के नेतृत्व में सरकार थी तो कंप्यूटर बाबा को केबिनेट मंत्री का दर्जा था। कांग्रेस के तत्कालीन 22 विधायकों द्वारा विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के साथ भाजपा का दामन थाम लेने से सरकार गिर गई।
उसके बाद भाजपा सत्ता में आई। राज्य में 28 स्थानों पर उप-चुनाव की स्थिति बनी तो कंप्यूटर बाबा ने लोकतंत्र बचाओ यात्रा निकाली थी और सभी क्षेत्रों में जाकर भाजपा के उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार किया था। साथ ही भाजपा पर कई गंभीर आरोप भी लगाए थे। मतदान की तारीख के बाद कंप्यूटर बाबा के खिलाफ मामले दर्ज होने का सिलसिला शुरु हुआ और 9 नवंबर को उन्हें गिरफ्तार कर उनके आश्रम को गिरा दिया गया।
श्रोत – आईएएनएस