भारत के ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को दावा किया कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और चीन के साथ युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। रावत ने कहा, “कुल मिलाकर सुरक्षा के लिहाज से सीमा पर टकराव, उल्लंघन, अकारण सामरिक सैन्य कार्रवाई–बड़े संघर्ष का संकेत है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता।”
शुक्रवार को चुशूल में भारत और चीन के बीच चल रही सैन्य वार्ता के बीच उनका यह बयान आया है। वह दिल्ली में नेशनल डिफेंस कॉलेज द्वारा आयोजित डायमंड जुबली वेबिनार, 2020 में बोल रहे थे।
हालांकि, रावत ने यह भी कहा कि भारत का रुख स्पष्ट है और वह “वास्तविक नियंत्रण रेखा में किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं करेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को लद्दाख में अपने दुस्साहस के लिए अनिश्चित परिणाम का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि भारतीय बलों ने उनके हर कदम का करारा जवाब दिया है।
सुबह 9.30 बजे से दोनों देशों के बीच आठवें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता चल रही है।
भारत और चीन के बीच सात महीनों से एलएसी पर गतिरोध जारी है। कई वार्ताओं के बावजूद अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
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इसके अलावा, रक्षा सहयोग के बारे में बोलते हुए, रावत ने कहा कि भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों के साथ आपसी विश्वास और साझेदारी बनाने में रक्षा कूटनीति का महत्व समझता है।
उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में, भारतीय रक्षा उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और समग्र रक्षा तैयारियों में योगदान देगा। जनरल रावत ने कहा, “उद्योग हमें पूरी तरह से भारत में निर्मित अत्याधुनिक हथियार और उपकरण उपलब्ध कराएगा।”
अधिकारी ने कहा कि जैसा कि भारत का दुनियाभर में कद बढ़ेगा, वैसी ही सुरक्षा चुनौतियां भी उसके लिए बढ़ेंगी।(आईएएनएस)