जम्मू एवं कश्मीर के आतंकवाद से प्रभावित जिले पुलवामा के 18 वर्षीय बासित बिलाल खान ने यह साबित कर दिया कि कश्मीर का युवा अकादमिक उत्कृष्टता में पीछे नहीं है और वे बेहतर कल के लिए अपने सपनों का पीछा कर रहे हैं।
बिलाल ने नीट परीक्षा में 720 में से 695 अंक प्राप्त किए हैं। गौरतलब है कि नीट का परिणाम शुक्रवार को घोषित किया गया। अपने मूलस्थान रत्नीपोरा गांव में परीक्षा की तैयारी करते हुए 96 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करना, बिलाल के लिए कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।
नीट के लिए बिलाल की तैयारी के दौरान 80 से अधिक दिनों तक सुरक्षा कारणों के कारण पुलवामा जिले में इंटरनेट को बैन कर दिया गया था। वहीं बाकी बची अवधि में इंटरनेट की गति 2जी तक ही सीमित रही, जो अभी भी बिलाल के गृह जिले तक नहीं पहुंची है।
अपनी सफलता के बारे में पत्रकारों से बात करते हुए, बिलाल ने कहा कि वह भगवान, अपने शिक्षकों और माता-पिता का धन्यवाद करना चाहते हैं, जिन्होंने उन्हें अपने सपने को साकार करने में मदद की।
बिलाल ने कहा, “मुझे क्वालीफाई करने की उम्मीद थी, लेकिन यह नहीं सोचा था कि मैं इतना अच्छा स्कोर करूंगा।”
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बिलाल किसी भी क्षमता के साथ लोगों की सेवा करना चाहता है। अपने गृह जिले और कश्मीर में युवाओं की समस्याओं के बारे में बोलते हुए उसने कहा, “बच्चे गलत और बुरी चीजों में फंस जाते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता उन्हें पर्याप्त समय नहीं दे रहे हैं और बाकी समय उन्हें कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर करता है।”
बिलाल की सफलता उन सैकड़ों स्थानीय युवाओं के लिए उम्मीद की खिड़की को फिर से खोलेगी, जो घाटी से गुजर रहे कठिन समय के कारण अवसरों और मौकों से वंचित महसूस करते हैं।
कॉलेज के एक सेवानिवृत्त प्राचार्य मुजफ्फर अहमद ने कहा, “अगर बिलाल इंटरनेट की इतनी कठिनाइयों, अनिश्चित कानून और व्यवस्था की स्थिति और अकादमिक सामग्री और सहायता तक पहुंचने की समस्या के बावजूद सफलता हासिल कर सकता है, तो मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि भविष्य में हमारे लड़के और लड़कियां इस सफलता को दोहराएंगे।” (आईएएनएस)