अयोध्या एयरपोर्ट अब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के नाम से जाना जाएगा। एयरपोर्ट भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का होगा। योगी सरकार ने नाम बदलने और एयरपोर्ट का दायरा बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है।
सरकार ने एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने की भी कवायद शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अगले वर्ष यानि 2021 में एयरपोर्ट का निर्माण पूरा करने की योजना है। माना जा रहा है कि राम मंदिर बनने के बाद यहां राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय श्रद्घालुओं और पर्यटकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी होगी। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने एयरपोर्ट को और विस्तार देने की योजना बनाई है।
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आपको बता दें कि अयोध्या एयरपोर्ट का विकास अप्रैल 2017 में दो चरणों में करने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए हुए टेक्नो-इकॉनमिक सर्वे में पहले चरण में एटीआर-72 विमानों के लिए विकसित किया जाना था। इसमें रन-वे की लंबाई 1680 मीटर रखी जानी थी। दूसरे चरण में ए-321, 200 सीटर विमानों के संचालन के लिए एयरपोर्ट विकसित होना था।
इसमें रन-वे की लंबाई 2300 मीटर प्रस्तावित थी। बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस एयरपोर्ट को बोइंग-777 विमानों के योग्य बनाने और उसका नाम बदलने की घोषणा की थी। इसके बाद भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने पिछले साल पांच मई को भौतिक सर्वे करने के बाद संशोधित रिपोर्ट पेश की।
संशोधित रिपोर्ट के मुताबिक पहले चरण में ए-321 विमानों के संचालन के लिए 463़10 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी। इसमें रन-वे की लंबाई 3,125 मीटर और चौड़ाई 45 मीटर होगी। दूसरे चरण में बोइंग 777 जैसे बड़े विमानों के संचालन के लिए 122़87 एकड़ जमीन की अतिरिक्त आवश्यकता होगी।
अयोध्या में बन रहे इस एयरपोर्ट को फिलहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा नहीं मिला है, लेकिन राज्य सरकार अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के मानकों के तहत इसे तैयार करा रही है। जिससे कुशीनगर एयरपोर्ट की तरह, इसे भी विमानों का संचालन शुरू होने से पहले अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का दर्जा मिल जाए।
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प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग के निदेशक सुरेंद्र सिंह ने अयोध्या के जिलाधिकारी को एयरपोर्ट के लिए पहले और दूसरे चरण के लिए चिन्हित भूमि का ग्रामवार, गाटावार क्षेत्रफल और मूल्यांकन कराकर अनुमानित राशि का प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।(आईएएनएस)