पिछले 3 महीनों से भारत, कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। इन बीते तीन महीनों में, हम लगातार राज्य सरकारों की फ़ंड को लेकर शिकायत सुनते आए हैं। ये शिकायत करने वालों में ज़्यादातर गैर भाजपा शासित राज्य शामिल हैं। इनमें से कइयों का आरोप है की, कोरोना से लड़ने के लिए उनके राज्य के पास पर्याप्त पैसे नहीं होने के बावजूद केंद्र सरकार उनकी ज़रूरत के मुताबिक आर्थिक मदद नहीं कर रहा है।
इन प्रदेशों में भारत की राजधानी, दिल्ली भी शामिल है। आपको बता दें की दिल्ली पर अभी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का शासन है।
आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक आर वर्तमान में भाजपा के नेता कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाया है। कपिल मिश्रा ने ट्वीट के ज़रिये निशाना साधते हुए कहा है की अरविंद केजरीवाल की सरकार न्यूज़ चैनल और अखबारों को दिये जाने वाले विज्ञापनों में बेहिसाब पैसे खर्च कर रही है। कपिल मिश्रा द्वारा दिये गए आंकड़े के मुताबिक, पिछले 1 महीने में ही केजरीवाल सरकार ने 43 करोड़ 77 लाख रुपये विज्ञापनों पर फूँक दिए हैं।
पिछले 3 महीनों से हर न्यूज़ चैनलों और लगभग हर अखबारों मे, दिल्ली सरकार द्वारा चलाए गए विज्ञापनों की संख्या पर अगर आप नज़र डालेंगे तो, कपिल मिश्रा द्वारा किया गया ये दावा आपको बिलकुल भी आश्चर्यचकित नहीं करेगा।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार द्वारा दिये गए विज्ञापन, औसतन हर 10 मिनट मे लगभग सभी न्यूज़ चैनलों पर देखे जा सकते हैं। आपको बता दें की दिल्ली सरकार के इन विज्ञापनों की लंबाई भी बाकियों से तुलना मे ज़्यादा होती है।
सवाल ये है की, जब कोरोना महामारी जैसे बड़े संकट का सामना पूरा देश कर रहा है, उस वक़्त करोड़ों रुपये विज्ञापनों पर फूँक देना कितना सही है। एक पल के लिए मान भी लिया जाए की सरकारों को जनता तक ज़रूरी जानकारी पहुँचाने के लिए विज्ञापनों की आवश्यकता होती है, लेकिन तब भी ये सवाल पूछा जाना चाहिए की अरविंद केजरीवाल सरकार, अपने विज्ञापनों को दिल्ली तक ही सीमित रख कर पैसे बचाने का प्रयास क्यूँ नहीं कर रही है।
दिल्ली पर केन्द्रित इन विज्ञापनों को पूरे देश भर मे प्रसारित करने के लिए करोड़ों रुपये, पानी की तरह बहा देने के पीछे का आखिर मकसद क्या है? ये एक बड़ा सवाल है।