विरोध के बीच उच्च सदन में गौहत्या विरोधी विधेयक पारित

कांग्रेस और जेडी (एस) के विधायकों के विरोध के बावजूद सत्तारूढ़ भाजपा को कर्नाटक विधान परिषद में गौहत्या विरोधी विधेयक पारित कर दिया।

कांग्रेस और जेडी (एस) के विधायकों के विरोध के बावजूद सत्तारूढ़ भाजपा ने सोमवार को कर्नाटक विधान परिषद में गौहत्या विरोधी विधेयक पारित कर दिया। जबकि इसके अगले दिन ही परिषद के अध्यक्ष का चुनाव होना था और इसमें एमएलसी बसवराज होराती भाजपा-जद (एस) गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। गौहत्या विरोधी बिल का आधिकारिक तौर पर नाम कर्नाटक प्रिवेंशन ऑफ स्लॉटर एंड प्रिवेंशन एंड प्रोटेक्शन ऑफ कैटल बिल 2020 है। विधानसभा में यह बिल पिछले साल ही दिसंबर में शीतकालीन सत्र के दौरान पास हो चुका है। अब राज्यपाल द्वारा इसे मंजूरी मिलते ही कर्नाटक में लगभग सभी मवेशियों – बैल, भैंस और गाय आदि का वध करना अवैध हो जाएगा।

कर्नाटक के पशुपालन मंत्री प्रभु चौहान ने सोमवार को उच्च सदन में यह विधेयक पेश किया था। चर्चा के दौरान कई कांग्रेस और जेडी (एस) एमएलसी ने इसे किसान विरोधी करार दिया। कुछ ने तो यह भी दावा किया कि इस विधेयक का मकसद कुछ लोगों को टारगेट करना है, लिहाजा इसे वापस लिया जाना चाहिए। वहीं चौहान ने कहा कि अधिनियम के प्रभावी होने से मवेशियों के संरक्षण के प्रयासों को बल मिलेगा।

सदन में भाजपा के सदस्यों की संख्या अधिक होने से विरोध के बावजूद विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक का विरोध करते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बी.के. हरिप्रसाद ने कहा कि “यह कानून ना किसानों की मदद करेगा ना आम लोगों की। बस, इससे वीएचपी और बजरंग दल के बेरोजगार कार्यकर्ताओं को काम मिल जाएगा।”

cow cow slaughtering
कांग्रेस के लिए यह कानून बजरंग दल के युवाओं को काम दिलाने जैसा लग रहा है।(Pixabay)

इस पर राज्य के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, “कांग्रेस गायों को मारने में विश्वास करती है जबकि भाजपा उन्हें बचाने में विश्वास करती है। आप लोगों से उलट हम अपनी संस्कृति और संस्कारों के रक्षक हैं।”

विधेयक के पारित होने पर खुशी जताते हुए राजस्व मंत्री आर. अशोक ने कहा, “हमने इस विधेयक को पारित करके महात्मा गांधी के अधूरे सपने को साकार किया है।”

यह भी पढ़ें: गाय के चमड़े को रक्षाबंधन से जोड़ने कि कोशिश में था PETA इंडिया, विरोध होने पर साँप से की लेखक शेफाली वैद्य कि तुलना

इस पर हरिप्रसाद ने कहा, “मछली और सूअर दोनों ही भगवान विष्णु के साथ सीधे जुड़े हुए हैं। आपने इनके मांस के सेवन पर प्रतिबंध लगाने के बारे में क्यों नहीं सोचा। हिम्मत है तो इन पर भी प्रतिबंध लगाएं।”

कांग्रेस के एमएलसी सी.एम. इब्राहिम ने कहा है कि कर्नाटक महाराष्ट्र या उत्तर प्रदेश की तरह नहीं है। लिहाजा इस विधेयक को सांप्रदायिकता से न जोड़ें। हमें समय दें, ताकि हम मस्जिद के प्रमुखों से इस पर बात कर सकें। इब्राहिम ने यह भी कहा कि सरकार को किसानों के साथ भी चर्चा करनी चाहिए।(आईएएनएस)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here