हाल ही में अमेरिका द्वारा टीकों के कच्चे माल के निर्यात को मंजूरी दे दी गई है। इस पर भारत के प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद भी कहा है। किन्तु यह फैसला आकस्मिक नहीं लिया गया है। इससे पहले अमेरिका ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ का हवाला देते हुए कोरोना के टीकों के कच्चे माल के निर्यात को मंजूरी नहीं दिया था और कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबन्ध हटाने से साफ इंकार कर दिया गया था।
किन्तु अमेरिका के प्रतिबन्ध के बाद कई देशों ने भारत की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया था साथ ही हर सम्भव मदद का वादा भी किया। इन देशों में थे यूके, दुबई और रूस जिन्होंने भारत को मदद का भरोसा दिया है। इसी कड़ी में यूके से ऑक्सीजन की खेप को भारत में निर्यात करना शुरू कर दिया है। दुबई ने ऑक्सीजन के निर्यात का जो भरोसा दिया था उस पर अमल भी किया जा रहा है और भारत में ऑक्सीजन के निर्यात को तेजी से बढ़ा रहा है। रूस की स्पुतनिक 5 टीके को भारत में आपात उपयोग के मंजूरी दे दी गई है। इसी बीच चीन ने भी मदद की पहल की थी, किन्तु अमेरिकी से पाबन्दी हटने के बाद उसने अपने निर्यात पर 15 दिन के लिए रोक लगा दिया है।
जिस समय यह खबर आई कि अमेरिका अपने निर्यात पर प्रतिबन्ध को बरकरार रखेगा उसी समय से देश में अमेरिका के खिलाफ आवाज उठने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। सोशल मीडिया माध्यमों से #boycottamerica और #america_exposed जैसे हैशटैग को चलाया जा रहा था।
किन्तु कुछ समय बाद यह खबर आती है कि अमेरिका ने प्रतिबन्ध को हटा लिया है और तत्काल ही टीके के कच्चे माल को भारत भेज रहा है। इस अचानक हृदय परिवर्तन के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का हाथ माना जा रहा है। क्योंकि जिस समय देश में अमेरिका के खिलाफ आवाज़ उठ रही थी उस समय अजित डोभाल ने जो बाइडन के राष्ट्रिय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से फोन पर बात किया। जिसके कुछ समय बाद ही जेक ने ट्विटर पर एक ट्वीट करते हुए सबको चौंका दिया। उन्होंने लिखा कि “भारत में COVID मामलों में बढ़ोतरी के बारे में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ आज बात की और हम आने वाले दिनों में निकट संपर्क में रहने के लिए सहमत हुए। संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के लोगों के साथ एकजुटता में खड़ा है और हम अधिक आपूर्ति और संसाधनों की तैनाती कर रहे हैं।”
यह भी पढ़ें: भारत की दूसरी कोविड लहर ज्यादा संक्रामक, मगर कम घातक
उस ट्वीट में एक लिखित बयान को भी जारी किया गया, जिसमें भारत को हर संभव मदद, कच्चे माल पर निर्यात की बात लिखी हुई थी।
माना यह जा रहा है कि अमेरिका का भारत की तरफ नरमी इसलिए पैदा हुई क्योंकि अन्य देश भारत के साथ तेजी से मदद का हाथ बढ़ा रहे थे और अमेरिका अलग-थलग नहीं दिखना चाह रहा था और इसलिए यह फैसला लिया गया। साथ ही इस पूरे मामले में अजित डोभाल की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता है। क्योंकि सीरम इंस्टिट्यूट के मालिक आडर पूनावाला ने कई बार अमेरिका से इस प्रतिबन्ध को हटाने की मांग की। सीरम इंस्टिट्यूट कोरोना वायरस के खिलाफ लग रहे कोवीशील्ड टीके की निर्माता है और कच्चे माल की बेरोक आपूर्ति ही टीके के निर्माण को रफ्तार दे सकती है।