भारत और चीन के बीच चल रहे आपसी तनाव से हम सभी अवगत हैं। इसकी शुरुआत 1959 में ही हो गयी थी, जब भारत की सीमा रक्षा पर हमारे 10 पुलिसकर्मियों ने शहादत को गले लगा लिया था।
मामला उस दिन का है जब पूर्वी लद्दाख में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कुल 15 जवान हॉट स्प्रिंग के पास तैनात थे।
मौका पाते ही चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने सीआरपीएफ की उस टुकड़ी पर हमला बोल दिया। इस हमले में हमारे दस जवान शहीद हो गए। बाकी बचे पांच, जिन्हें चीन ने हिरासत में धर लिया था।
बन्दी बनाये जवानों के साथ चीनी सेना ने क्रूरता पूर्ण व्यवहार किया। अंत में दिल्ली से बगावत की आवाज़ उठने पर , चीन ने दस जवानों के मृत देह के साथ उन पांच जिंदा जवानों को लौटा दिया।
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हालांकि उस एक तरफ़ा युद्ध में भी हमारे देश के जवानों ने पूरी तरह से हार नहीं मानी थी।
आज पुलिसकर्मियों के उसी बलिदान के बाद, हर साल 21 अक्टूबर को वार्षिक रूप से पुलिस स्मृति दिवस (Police Commemoration Day) मनाया जाता है। उसके बाद भी ना जाने कितने पुलिसकर्मी अपनी सेवा देते हुए देश के लिए, अपने समाज के लोगों के लिए शहीद हो गए।
हम चाहे पुलिस दल से डर जाएं, या उन्हें अपशब्द कहें मगर समाज में उनकी ज़रूरत और उनकी भूमिका को कभी दरकिनार नहीं कर सकते।
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