मलयालम अभिनेत्री कानी कुसरुति एक ऐसे सिस्टम की मांग करती हैं, जहां कलाकारों को काम के एक समान अवसर मिलें, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, वर्ग और रंग के हों।
कानी को हाल ही में 42 वें मॉस्को फिल्म फेस्टिवल में ब्रिक्स प्रतियोगिता श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने मलयालम सिनेमा की पहली नायिका पीके रोजी को अपनी यह जीत समर्पित की।
कानी ने आईएएनएस को बताया, “मैं यह पुरस्कार पीके रोजी को समर्पित करती हूं, जो मलयालम सिनेमा की पहली अभिनेत्री हैं और साथ ही भारतीय सिनेमा की पहली दलित अभिनेत्री भी हैं। उंची जाति का किरदार को निभाने के अपराध में उनके घर में आग लगा दी गई थी और उन्हें अपनी जिंदगी से हाथ धोने के लिए भी मजबूर किया गया।”
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अभिनेत्री ने आगे कहा, “मैं देख रही हूं कि कई कलाकारों को कुछ ऐसे किरदारों की पेशकश नहीं की जा रही है, जिनमें शायद वे काफी बेहतर प्रदर्शन करने की काबिलियत रखते हैं और ऐसा मनोरंजन जगत के वर्तमान बुनियादी ढाचें के चलते हो रहा है। मैं अपने इस पुरस्कार को इन सभी लोगों के साथ साझा करती हूं और हम साथ में मिलकर यह उम्मीद करते हैं कि शायद जल्द ही हम एक ऐसे कल्चर का विकास कर सके, जहां सभी कलाकारों को एक समान काम के अवसर मिले, चाहें उनकी जाति, धर्म, वर्ग और रंग कुछ भी क्यों न हो।”
कानी को ‘बिरियानी’ में अपने किरदार के लिए यह पुरस्कार मिला। (आईएएनएस)