प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को सुबह 11 बजे ‘नमामि गंगे मिशन’ के तहत उत्तराखंड में छह मेगा परियोजनाओं का वीडियो कांफ्रेंसिंग से उद्घाटन करेंगे। इन परियोजनाओं में 68 मिलियन लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाले एक नए अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र (एसटीपी)का निर्माण, हरिद्वार के जगजीतपुर में स्थित 27 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी के अपग्रेडेशन और हरिद्वार के ही सराई में 18 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी का निर्माण शामिल है। जगजीतपुर का 68 एमएलडी क्षमता वाला एसटीपी, सार्वजनिक निजी भागीदारी से पूरी की गई पहली हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल वाली परियोजना है। ऋषिकेश में लक्कड़घाट पर 26 एमएलडी क्षमता वाले एक एसटीपी का भी उद्घाटन किया जाएगा। उत्तराखंड में हरिद्वार-ऋषिकेश क्षेत्र से गंगा नदी में लगभग 80 प्रतिशत अपशिष्ट जल बहाया जाता है। ऐसे में यहां कई एसटीपी परियोजनाओं का निर्माण गंगा नदी को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। चंद्रेश्वर नगर में मुनि की रेती शहर में 7.5 एमएलडी क्षमता वाला एसटीपी देश में पहला 4 मंजिला अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र है। यहां भूमि की सीमित उपलब्धता को एक अवसर के रूप में परिवर्तित किया गया है। एसटीपी का निर्माण 900 वर्ग मीटर से कम क्षेत्र में किया गया है, जो ऐसी क्षमता वाले एसटीपी के निर्माण के लिए सामान्य रूप से आवश्यक क्षेत्र का महज 30 प्रतिशत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चोरपानी में 5 एमएलडी क्षमता वाले एक एसटीपी और बद्रीनाथ में 1 एमएलडी तथा 0.01 एमएलडी क्षमता वाले दो एसटीपी का भी उद्धाटन करेंगे।
गंगा नदी के किनारे बसे 17 शहरों से नदी में प्रवाहित होने वाले अपशिष्ट जल के उचित प्रबंधन के लिए उत्तराखंड में शुरू की गई सभी 30 परियोजनाओं का निर्माण कार्य सौ फीसदी पूरा हो चुका है जो कि अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
प्रधानमंत्री गंगा नदी के कायाकल्प के लिए सांस्कृतिक और जैव विविधता के क्षेत्र में की गई गतिविधियों को प्रदर्शित करने वाले अपने तरह के पहले संग्रहालय ‘गंगा अवलोकन’ का भी उद्घाटन करेंगे। यह संग्रहालय हरिद्वार के चंडी घाट में स्थित है।
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परियोजनाओं के उद्धाटन अवसवर पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और भारतीय वन्यजीव जनसंस्थान की ओर से प्रकाशित पुस्तक ‘रोविंग डाउन द गंगा’ का भी विमोचन करेंगे। रंगीन चित्रों वाली यह पुस्तक गंगा नदी की जैव विविधता और उसकी संस्कृति को एक साथ जोड़कर प्रस्तुत करने का एक बेहतरीन प्रयास है। गंगा नदी के गोमुख से निकल कर गंगा सागर में समुद्र में गिरने तक इसमें नाव के जरिए यात्रा करने वाले क्या क्या देख सकते हैं, इसका वृतांत पुस्तक में बखूबी पेश किया गया है।(आईएएनएस)