मोनिका अरोड़ा की किताब, दिल्ली दंगे: 2020 को लेकर वामपंथी-इस्लामिक गिरोह द्वारा किए गए भरी हंगामे के बाद ब्लूम्सबरी प्रकाशन ने डर कर इस किताब को प्रकाशित करने से अपने हाथ पीछे खींच लिए थे, जिसके बाद अब गरुड़ा प्रकाशन इस किताब को प्रकाशित करने जा रही है।
एक किताब को लेकर हुए भारी विरोध और हंगामे ने ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ पर एक बड़े बहस को जन्म दे दिया है। अभिव्यक्ति की आज़ादी और इससे जुड़े कई पहलुओं पर हमने पीएचडी के छात्र व राजनीतिक विश्लेषक सुभाजीत पॉल और साकेत भारद्वाज से विस्तार में चर्चा किया है। देखें वीडियो।