बुंदेलखंड के किसानों के लिए वरदान हैं औषधीय पौधे

बुंदेलखंड क्षेत्र में औषधीय और सुगंधित पौधों जैसे लेमनग्रास, सातवेर, अश्वगंधा, खास और अन्य की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।

Medicinal plants
इन औषधीय पौधों को कम पानी की आवश्यकता होती है और यह क्षेत्र के गर्म और आद्र्र मौसम की स्थिति को सहन कर सकते हैं। (सांकेतिक चित्र, Pixabay)

बुंदेलखंड क्षेत्र में औषधीय और सुगंधित पौधों जैसे लेमनग्रास, सातवेर, अश्वगंधा, खास और अन्य की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, क्योंकि इन औषधीय पौधों को कम पानी की आवश्यकता होती है और यह क्षेत्र के गर्म और आद्र्र मौसम की स्थिति को सहन कर सकते हैं। सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (सीआईएमएपी) के मुख्य वैज्ञानिक आलोक कुमार ने बुंदेलखंड क्षेत्र में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन को मजबूत करने पर जोर दिया है।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे औषधीय पौधे क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हो सकते हैं और किसानों को वित्तीय लाभ दिला सकते हैं।

उन्होंने कहा कि केवल आठ महीनों में, एक किसान 50 लीटर लेमनग्रास तेल पैदा कर सकता है। लेमनग्रास की खेती के लिए पौधों को अत्यधिक गर्म परिस्थितियों से बचाने के लिए किसी विशेष व्यवस्था की आवश्यकता नहीं होती है और न ही इसे बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है।

बुंदेलखंड
बुंदेलखंड क्षेत्र में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन को मजबूत करने पर जोर दिया है। (सांकेतिक चित्र, Pixabay)

उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-सीमैप द्वारा जल्द ही इस क्षेत्र के लिए कृषि विकास का रोड मैप तैयार किया जाएगा।

वैज्ञानिक ने कहा कि बुंदेलखंड को एक पारिस्थितिकी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है, क्योंकि इसमें एक अच्छा वन कवर है। साथ ही, वैज्ञानिक बकरी पालन, जिसमें बेहतर दूध उत्पादन के लिए वैज्ञानिक प्रथाओं का उपयोग किया जाता है, इस क्षेत्र में बकरी किसानों की आय को दोगुना करने में मदद कर सकता है।

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सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ बकरी फामिर्ंग मथुरा और सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन बकरियों, मथुरा के विशेषज्ञों ने भी बताया कि कैसे बकरी पालन बुंदेलखंड क्षेत्र में लोगों की आय बढ़ाने में मदद कर सकता है। (आईएएनएस-SM)

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