टोक्यो ओलंपिक भारतीय निशानेबाजों के प्रदर्शन से काफी निराश हैं जॉयदीप कर्माकर

जॉयदीप करमाकर ने इस तथ्य का विरोध किया कि निशानेबाज युवा थे और दबाव को संभाल नहीं सकते थे, उन्होंने कहा, एक समान खेल के मैदान में कोई बच्चा नहीं होता।

Joydeep Karmakar, Tokyo Olympics 2020
पूर्व ओलिंपियन जॉयदीप करमाकर (Wikimedia commons)

टोक्यो ओलंपिक में पिछले चार दिनों में निशानेबाजी में भारत का निराशाजनक प्रदर्शन चर्चा का विषय बन गया है। कुछ विशेषज्ञ इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि 15 सदस्यीय दल के साथ क्या गलत हुआ है, जबकि उनसे पदक की उम्मीद थी। भारतीय निशानेबाजी के प्रसिद्ध नामों में से एक, जॉयदीप करमाकर, जिन्होंने 2012 के लंदन ओलंपिक में 50 मीटर राइफल प्रोन में भाग लिया और चौथे स्थान पर रहते हुए कांस्य से चूक गए, ने भारत के प्रदर्शन को आपदा करार दिया और आत्मनिरीक्षण का आह्वान किया।

कर्माकर ने ट्वीट किया, अब मैं इसे एक आपदा कहूंगा! यह (10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम इवेंट) से सबसे बड़ी उम्मीद थी और जो कुछ हुआ उसे लेकर भाग्य को दोष नहीं देना चाहिए !

शीर्ष पिस्टल निशानेबाज हीना सिद्धू, जिनके पति रौनक पंडित टोक्यो में भारतीय पिस्टल टीम के कोच हैं, ने ट्वीट किया, आज 10 मीटर रेंज में निराशाजनक प्रदर्शन। भारतीय निशानेबाजी के बुरे दिन। सौरभ ने अच्छा किया, लेकिन मनु से उन्हें साथ नहीं मिला। बेहद निराशाजनक।

ट्वीट्स की एक अन्य श्रृंखला में, कर्माकर ने इस तथ्य का विरोध किया कि निशानेबाज युवा थे और दबाव को संभाल नहीं सकते थे, उन्होंने कहा, एक समान खेल के मैदान में कोई बच्चा नहीं होता।

टोक्यो ओलंपिक (Wikimedia Commons)

कर्माकर ने ट्वीट किया, बच्चे? निश्चित रूप से वे अपनी उम्र के बच्चे हैं, मैं उन्हें प्यार करता हूं और अपने बच्चों के रूप में भी उन्हें प्यार करता रहूंगा लेकिनी खेल के मैदान पर एक एथलीट के रूप में मैं ‘ उन्हें ‘बच्चों’ के रूप में नहीं देखता। एक समान खेल के मैदान में कोई बच्चा नहीं है। हमें आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है!

भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) के पूर्व उपाध्यक्ष और 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के खेल प्रबंधक दीप भाटिया ने आईएएनएस से कहा, निशानेबाजों ने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की, लेकिन ऐसा लगता है कि वे मानसिक रूप से प्रशिक्षित नहीं थे।

भाटिया ने देश में निशानेबाजी खेलों में निहित स्वार्थ की ओर भी इशारा किया, जिसे उन्होंने ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन का एक बड़ा कारण बताया।

भाटिया ने कहा, जब प्रबंधकों और कोचों की बात आती है, तो निशानेबाजी में बहुत निहित स्वार्थ होता है, विशेष रूप से हितों के टकराव को लेकर।

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एनआरएआई के अध्यक्ष रणिंदर सिंह को मीडिया में यह कहते हुए बताया गया था कि महासंघ ने निशानेबाजों के लिए जो कुछ भी संभव होगा वह किया है और अब टोक्यो में निराशानजनक प्रदर्शन के बाद पूरे कोचिंग स्टाफ का पूरा ओवरहाल होगा।(आईएएनएस-PS)

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