Transparency Web Series: क्या था India Against Corruption?

आखिर ऐसा क्या था IAC आंदोलन में, जिसने अलग - अलग तबके के लोगों को घरों से निकाल कर आंदोलन में एकत्रित होने के लिए प्रेरित कर दिया था?

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Transparency Web Series
यह आंदोलन केवल दिल्ली तक सीमित नहीं था, यह पूरे राष्ट्र का आंदोलन बन गया था। (Transparency Web Series)

1977 की क्रांति के बाद से देश ने दुबारा वैसा उत्साह या संघर्ष नहीं देखा था। एक व्यवस्था थी, जो चलती आ रही थी। व्यवस्था खराब है सही है, लोगों को इससे मतलब ही नहीं था। लोग आते थे वोट देते थे, या नहीं देते थे। कोई परिवर्तन राजनीतिक सत्ता में नहीं हो रहा था। कोई सवाल खड़े करने वाला नहीं था। लेकिन कई सालों के बाद देश के युवाओं ने 21 वीं शताब्दी में एक लहर देखी। भ्रष्टाचार (Corruption) को खत्म करने की लहर जिसने एक आंदोलन को भी जन्म दिया था। लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह आंदोलन शुरू कैसे हुआ था। आखिर क्या था इंडिया अगेंस्ट करप्शन? कैसे अन्ना आंदोलन ने एक राष्ट्र आंदोलन का स्वरूप ले लिया था? 

साल 2010 के दौरान देश में करप्शन के सिवा और कोई बात या न्यूज़ चर्चा में नहीं थी। हर रोज नया घोटाला और सबसे ज्यादा घोटाला हमें Common Wealth Games में देखने को मिलता रहा था। उस वक्त टैक्स देने वालों के पैसों का भी बड़े स्तर पर दुरुपयोग किया जा रहा था। तब उस समय किरण बेदी, रामदेव बाबा, अरविंद केजरीवाल, अन्ना हजारे और भी कई लोगों ने एक साथ मिलकर एक Joint FIR दर्ज कराने की नीति बनाई। ये एक ऐसा वक्त था, जब CWG के खिलाफ FIR तक रजिस्ट्री करना मुश्किल था। लेकिन क्या यह Joint FIR दर्ज हो पाई थी?

कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद ही आया था इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC)। जिस दौरान IAC का गठन हो रहा था, उस समय इसमें कई लोग शामिल थे और सभी सिर्फ एक उम्मीद के साथ की भ्रष्टाचार पर अंकुश जरूर लगेगा। लेकिन क्या यह उम्मीद कायम रह पाई थी? आखिर कैसे अन्ना हजारे इस आंदोलन से जुड़े थे? क्यों उन्होंने बड़े स्तर पर अनशन किया था? 

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IAC यानी अन्ना आंदोलन। उस समय भ्रष्टाचार से भरी सत्ता के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई चल रही थी। जिसका आधार स्तम्भ था “जनलोक पाल बिल।” जन लोकपाल बिल का मुख्य उद्देश्य ही था, शासन, प्रशासन पर नियंत्रण रखना और जन – जन की भागीदारी को उजागर करना| 

India Against Corruption
Transparency Web Series (Part-3)

जनवरी 30, 2011 को जन लोकपाल बिल को लागू करने के लिए, रामलीला मैदान से जनपथ तक एक विरोध प्रदर्शन किया गया। उसके बाद जब बिल को मंजूरी नहीं मिल पाई  तो अप्रैल 2011 में अन्ना हजारे जी, जन लोकपाल बिल को पास कराने के लिए अनशन पर बैठे गए। लेकिन अनशन के दौरान ऐसी क्या बातें हुई कि, अरविंद केजरीवाल नहीं चाहते थे कि अन्ना जी अपना अनशन तोड़ें? सरकार द्वारा अरविंद की सभी मांगों को पूरा किया जा रहा था, लेकिन फिर भी उन्होंने अनशन को क्यों नहीं खत्म करने दिया? 

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13 दिन तक करीब 10 हजार से 70 हजार तक लोग रामलीला मैदान में बैठे रहे। अन्ना आंदोलन को सहयोग देते रहे। यह आंदोलन केवल दिल्ली तक सीमित नहीं था, यह पूरे राष्ट्र का आंदोलन बन गया था। यही बात तो रोचक है कि, आखिर ऐसा क्या था IAC आंदोलन में, जिसने अलग – अलग तबके के लोगों को घरों से निकाल कर आंदोलन में एकत्रित होने के लिए प्रेरित कर दिया था?

आखिर ऐसा क्या हुआ कि, बिल तो आया लेकिन “लोकपाल बिल“। क्यों और कैसे यह “जन लोकपाल बिल” से “लोकपाल बिल” बन गया?

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आपको जानकारी के लिए बता दें की यह “ट्रांसपेरेंसी: पारदर्शिता” वेब सीरीज का भाग – 3 है और हमें हमारे सभी प्रश्नों के जवाब “ट्रांसपेरेंसी: पारदर्शिता वेब सीरीज” के मध्य से ही मिलेंगे। आगे हम जानेंगे की आखिर कैसे आम आदमी पार्टी का सत्ता में आने के बाद मकसद बदल गया? कैसे सार्वजनिक क्षेत्रों में काम करने वाला एक कार्यकर्ता का भ्रष्टाचार मिटाने से इतर एक अलग व्यक्तित्व भी है। 

भारतीय दर्शकों के लिए MX Player पर निशुल्क उपलब्ध है। https://www.mxplayer.in/show/watch-transparency-pardarshita-series-online-f377655abfeb0e12c6512046a5835ce1

यू.एस.ए और यूके के दर्शकों के लिए Amazon Prime पर मौजूद है। https://www.amazon.com/gp/video/detail/B08NWY9VWT/ref=atv_dp_share_cu_r

डॉक्यूमेंट्री को https://transparencywebseries.com/ पर भी देखा जा सकता है।

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