क्या एलॉपथी, आयुर्वेद के बढ़ते चलन से अपने व्यवसाय को गवाता देख रहा है?

केवल एलॉपथी को कारगर मानकर विश्व के प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद को दरकिनार करना कहाँ तक जायज है? आईएमए और बाबा रामदेव के बीच का विवाद क्या भविष्य दिखाता है?

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Ayurveda and allopathy indian medical association and yoga guru baba ramdev
(NewsGram Hindi)

भारतीय चिकित्सा संघ और योग-गुरु बाबा रामदेव खुलकर आमने-सामने आ गए हैं। यह बहस शुरू हुई है एलोपैथी एवं आयर्वेद पर, जिस वजह से आधुनिक चिकित्स्क और आयुर्वेद के जानकार बहस के मनोदशा में दिख रहे हैं। किन्तु यह बात भी ध्यान देने वाली है कि देश इस समय कोरोना काल से जूझ रहा है, और सभी लोग अंग्रेजी दवाओं के साथ-साथ आयुर्वेदिक औषधियों का भी प्रयोग कर रहे हैं। केवल एलॉपथी को कारगर मानकर विश्व के प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली को दरकिनार करना कहाँ तक जायज है?

इसी बीच भारतीय चिकित्सा संघ(IMA) के प्रमुख डॉ जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल द्वारा एक विदेशी ईसाई पत्रिका को दिया एक साक्षात्कार सामने आया है, जिसमें उन्होंने ईसाई डॉक्टर के रूप में काम करने की बात कही और ‘ईसाई उपचार’ की बात की है। साथ ही यह भी कहा है कि भारत के धर्मनिरपेक्ष संस्थानों में और अधिक ‘ईसाई डॉक्टरों’ की जरूरत है। डॉ. ऑस्टिन का यह बयान किसी भी रूप से धर्मनिरपेक्षता का उदाहरण नहीं है। साथ ही जब इस बयान पर आपत्ति जताई गई तब इससे ध्यान भटकाने के लिए आयुर्वेद पर निशाना साधा गया।

यह बात जगजाहिर है कि कोरोना में जितनी कारगर एलोपैथिक दवाएं हैं उतनी ही मददगार आयुर्वेदिक औषधियां भी हैं, इसी बीच योग-गुरु बाबा रामदेव ने IMA से 25 ऐसे सवाल पूछे हैं जिनका जवाब शायद ही वह दे पाएं।

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आज के समय में भारत में चिकित्सा को धंधा क्यों कहा जाता है इसका उत्तर हम सबको पता है। किन्तु इससे छुटकारा कैसे मिलेगा इसका जवाब न तो सरकार दे पा रही है और न ही IMA, और इन सबके बीच पिस रहा है वह आम-नागरिक जिसे मामूली दवाओं के लिए भी हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। हम निजी अस्पतालों को बेहतर इसलिए कहते हैं क्योंकि वह इलाज के लिए मोटी रकम मांगते हैं, जिसे मध्यम-वर्गीय एवं निम्न-वर्गीय लोग नहीं चुका कर सकते। बात करें एलोपैथिक दवाइयों की तो उसकी रकम आज सोने के बराबर है। जिसका उदाहरण बाबा रामदेव ने एक टीवी शो का लघु अंश साझा करते हुए दिया है। इस शो का नाम है ‘सत्यमेव जयते’ और इसमें दवाइयों के मूल रकम पर ही चर्चा की जा रही है। इस वीडियो को साझा करते हुए बाबा रामदेव ने लिखा कि “इन मेडिकल माफियाओं में हिम्म्त है तो आमिर खान के खिलाफ मोर्चा खोलें”

बाबा रामदेव और आयुर्वेद पर पहले भी ऊँगली उठी है, जिसका जवाब भी उन्होंने अपने तरीके से दिया है। आपको याद होगा जब पतंजलि की कोरोनिल आयुर्वेदिक दवाई बाजार में उतारी गई थी। उस समय भी पतंजलि के साथ-साथ आयुर्वेद पर सोशल मीडिया के जरिए हीन माहौल पैदा किया गया था। लेकिन जब बाबा रामदेव ने ‘कोविड के खिलाफ पहली साक्ष्य-आधारित आयुर्वेदिक दवाई’ पर शोध जारी किया तब आयुष मत्रालय ने भी इसे मंजूरी दिया और सभी आपत्तिकर्ताओं को जवाब मिल गया था और वह लम्बे समय तक शान्त भी रहे। किन्तु अब जिस तरह षड्यंत्र के तहत एलोपैथी और आयुर्वेद को आमने-सामने लाया जा रहा, यह कहीं न ही देश के इतिहास को और उसके प्राचीन चिकित्सा प्रणाली के धरोहर को मिटाने का प्रयास लग रहा है।

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