क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स ( ranking ) के ग्यारहवें संस्करण में विषय के आधार पर 12 प्रमुख भारतीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों ने अपने-अपने विषय में शीर्ष 100 स्थान हासिल किए। कुल मिलाकर शीर्ष 100 स्थानों में 35 भारतीय के कार्यक्रमों को शामिल किया गया। यह संख्या साल 2020 के संस्करण की तुलना में एक कम है। ये रैंकिंग्स चार मार्च को वैश्विक उच्च शिक्षा परामर्शदाता क्यूएस क्वाक्वेरीली साइमंड्स की ओर से जारी की गईं।
क्यूएस के वैश्विक विश्वविद्यालय के तुलनात्मक प्रदर्शन के 2021 के संस्करण में 51 शैक्षणिक विषयों में 52 भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में 253 कार्यक्रमों के प्रदर्शन के बारे में स्वतंत्र आंकड़े दिए गए हैं। क्यूएस ने यह भी निष्कर्ष निकाला है :
* इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस ने मिनरल एंड माइनिंग इंजीनियरिंग के शीर्ष 50 रैंक प्राप्त किए। आईआईटी-बम्बई (41वां स्थान, पिछले साल की तुलना में कोई परिवर्तन नहीं) और आईआईटी-खड़गपुर (44वां, पिछले साल की तुलना में दो स्थान का सुधार हुआ)। आईआईटी-मद्रास पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के लिए 30वें स्थान पर हैं और यह इस वर्ष की विषयवार रैंकिंग्स में पब्लिक इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस द्वारा प्राप्त सर्वोच्च रैंकिंग हैं।
* आईआईएस (IIS ) बैंगलूर ने मेटेरियल साइंस में (78वां स्थान) और रसायन विज्ञान में (93वां) के लिए शीर्ष 100 रैंक को बरकरार रखा।
* आईआईटी-दिल्ली ( IIT DELHI ) को 13 विषय तालिका में स्थान दिया गया है। इसने इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में शीर्ष 100 रैंक प्राप्त किया (54 वां रैंक जो 2020 में 49वें रैंक से नीचे है), कंप्यूटर विज्ञान में (70वां) और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में (79वां) रैंक प्राप्त किया।
* दो भारतीय विश्वविद्यालयों ने व्यवसाय और प्रबंधन के लिए शीर्ष 100 रैंक प्राप्त किया।
* पब्लिक इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस ने निजी संस्थानों की तुलना में क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में काफी बेहतर प्रतिनिधित्व हासिल किया। इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस के रूप में चुने गए दस निजी विश्वविद्यालयों में से छह संस्थानों ने विषयवार रैंकिंग में स्थान बनाया है और कुछ सकारात्मक परिणाम दर्ज किए गए हैं।
* ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ( OP JINDAL UNIVERSITY ) ने कानून के लिए वैश्विक शीर्ष 100 में प्रवेश किया है। यह अब 76वें स्थान पर है। शीर्ष 100 में किसी प्राइवेट इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस द्वारा हासिल किया गया यह एकमात्र परिणाम है।
* बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ( Technology ) एंड साइंस ( science ) ने फार्मेसी और फार्माकोलॉजी के लिए 151-200 में जगह बनाई। इसने गणित में (451-500 बैंड) और व्यवसाय और प्रबंधन अध्ययन में (451-500 बैंड) के लिए रैंकिंग में भी जगह बनाई।
* जामिया हमदर्द (Jamia Hamdard) ने फार्मेसी और फार्माकोलॉजी (101-150) के लिए शीर्ष 150 में प्रवेश किया है।
* मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन ने फार्मेसी एंड फार्माकोलॉजी (151-200) के लिए शीर्ष 200 में प्रवेश किया है।
* वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ( Technology ) ने इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग (251-300 बैंड) के लिए शीर्ष 300 में स्थान प्राप्त किया।
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क्यूएस ने यह भी दर्ज किया है कि भारत वैश्विक पर्यावरण विज्ञान अनुसंधान में सबसे आगे है। इल्सवियर में क्यूएस रिसर्च से प्राप्त डेटा से संकेत मिलता है कि भारत इस क्षेत्र में अपने रिसर्च फुटप्रिंट के संदर्भ में पांचवें रैंक पर है। वह केवल जर्मनी, चीन, युनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के पीछे है। एल्सवियर विषयवार क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स में योगदान देता है। इन योगदानों को दर्शाते हुए छह भारतीय विश्वविद्यालयों को क्यूएस की पर्यावरण विज्ञान रैंकिंग में दिखाया गया है, जिसमें आईआईटी-बंबई और आईआईटी-खड़गपुर (151-200) ने शीर्ष 200 स्थान प्राप्त किया है और आईआईटी गुवाहाटी ने इस वर्ष (401-250 बैंड) में पहली बार स्थान बनाया। इस विषय में आईआईटी-खड़गपुर प्रदर्शन में पिछले एक साल में 201-250 बैंड से बेहतर हुआ है।
Unveiled QS World University Rankings by subject #2021 today. @worlduniranking
Once again would like to congratulate the institutions that have secured good ranking. These institutions have stood on the frontiers and made us proud. pic.twitter.com/SYyTEbRo06
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) March 4, 2021
क्यूएस में प्रोफेशनल सर्विसेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बेन सॉटर ने कहा, “भारत के सामने जो सबसे बड़ी चुनौतियां हैं, उनमें से एक चुनौती शैक्षिक है- तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उच्च गुणवत्तावाली उच्च शिक्षा प्रदान करना। पिछले साल एनईपी ने भी यह स्वीकार किया और इसके लिए 2035 तक 50 प्रतिशत का सकल नामांकन अनुपात के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करना होगा। इसलिए यह चिंता का एक कारण भी होना चाहिए कि पिछले वर्ष की तुलना में हमारी 51 विषय रैंकिंग में भारतीय कार्यक्रमों की संख्या वास्तव में कम हो गई है- 235 से घटकर 233 तक। हालांकि यह मामूली कमी है, लेकिन यह इस तथ्य का द्योतक है कि गुणवत्ता का त्याग नहीं करते हुए प्रावधान का विस्तार एक अत्यधिक चुनौतीपूर्ण कार्य है। हालांकि, क्यूएस यह भी ध्यान देता है कि भारत के निजी तौर पर संचालित भावी संस्थानों के कई कार्यक्रमों ने इस साल प्रगति की है, जिसमें सकारात्मक भूमिका का प्रदर्शन किया गया है, जिसमें अच्छी तरह से विनियमित निजी प्रावधान भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र को बढ़ाने में हो सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “ये रैंकिंग भारत की आकांक्षाओं और उन्हें पूरा करने की क्षमता को प्रदर्शित करती है। यह भारत के लिए अपने विश्वस्तरीय संस्थानों को स्वीकार करने, उनकी सराहना करने और प्रोत्साहित करने के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जिन्होंने इन रैंकिंग में उच्चतम स्तर पर छाप छोड़ी है। यह एक लंबे समय से पोषित आकांक्षा और इच्छा का प्रतीक है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कई अवसरों पर व्यक्त किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों के निर्माण की भारत की आकांक्षा को भी रेखांकित किया है।”
(आईएएनएस )