भारत के ध्रुवीकरण का स्पष्ट प्रयास करते हुए अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस और कुछ अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों ने भारतीय मामलों पर शायद ही कोई विशेषज्ञता हासिल की हो, मगर उन्होंने भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों को बुधवार को अपना समर्थन दिया। भारत सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें ‘निहित स्वार्थी समूहों’ का हिस्सा करार दिया और उनके समर्थन को ‘सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और टिप्पणियों’ के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि ये ‘न तो सटीक हैं और न ही जिम्मेदार हैं।’
ट्विटर पर बुधवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब मंगलवार रात अमेरिकी पॉप गायक रिहाना ने भारत के किसानों के विरोध पर एक समाचार लिंक पोस्ट किया और ट्वीट किया, “हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?!” उनके इस ट्वीट पर कुछ भारतीयों ने रिहाना की साख और भारत के आंतरिक मामलों के बारे में उनके ज्ञान पर सवाल उठाते हुए व्यापक आक्रोश दिखाया। इसके बाद, पर्यावरण की सक्रियता के लिए काम कर रहीं चर्चित किशोरी, ग्रेटा थुनबर्ग ने ट्वीट किया, “हम भारत में चल रहे किसान आंदोलन के साथ एकजुटता से खड़े हैं।”
मीना हैरिस ने बुधवार सुबह भारत पर समन्वित रूप से कटाक्ष किए जाने में भाग लिया। उन्होंने अमेरिका की घटना को जोड़ते हुए ट्वीट किया, “यह कोई संयोग नहीं है कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र पर एक महीने पहले भी हमला किया गया था और जैसा कि हम बोलते हैं, सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र तीखी आलोचना झेल रहा है। भारत में जो हुआ, वह इससे जुड़ा हुआ है। हम सभी को भारत के इंटरनेट शटडाउन और किसान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अर्धसैनिक हिंसा पर नाराजगी दिखानी चाहिए।”
यह भी पढ़ें : कोविड राहत पैकेज पर बयान से कमला हैरिस की फजीहत
लेबनान-अमेरिकी पूर्व पोर्नोग्राफिक अभिनेत्री मिया खलीफा भी एक टिप्पणी के साथ भारतीय महिला प्रदर्शनकारियों की तस्वीर के साथ कमेंट पोस्ट कर इस मुहिम में शामिल हो गईं। उन्होंने ट्वीट किया, “मानवाधिकार हनन में क्या हो रहा है? नई दिल्ली के चारों ओर इंटरनेट काट दिया है?” उनके ट्वीट को जहां दुनियाभर से सैकड़ों लाइक और रीट्वीट मिले, वहीं भारतीय फिल्म स्टार कंगना रनौत सहित हजारों भारतीयों ने उन सभी को ट्रोल किया।
“Paid actors,” huh? Quite the casting director, I hope they’re not overlooked during awards season. I stand with the farmers. #FarmersProtest pic.twitter.com/moONj03tN0
— Mia K. (@miakhalifa) February 3, 2021
इस बीच, विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर उन्हें फटकार लगाई। बयान में कहा गया, “हम आग्रह करेंगे कि ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से पहले तथ्यों का पता लगाया जाए और हाथ में लिए मुद्दों को अच्छी तरह समझ लिया जाए। सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और टिप्पणियां लुभावनी बन जाती हैं, खासकर तब, जब मशहूर हस्तियों और अन्य लोग इससे जुड़ जाते हैं, जबकि उनका बयान न तो सटीक होता है और न ही जिम्मेदाराना।” सरकार ने समझाया, “भारत की संसद ने कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी कानून पूरी बहस और चर्चा के बाद पारित किया। इन सुधारों ने विस्तारित बाजार तक पहुंच दी और किसानों को अधिक लचीलापन दिया। ये आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ खेती का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।”
सरकार ने कहा कि भारत के कुछ हिस्सों में किसानों के एक बहुत छोटे वर्ग को इन सुधारों के बारे में कुछ संदेह है। बयान में कहा गया, “भारत सरकार ने प्रदर्शनकारियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, उनके प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की एक श्रृंखला शुरू की है। केंद्रीय मंत्री वार्ता का हिस्सा रहे हैं, और पहले से ही ग्यारह दौर की वार्ता हो चुकी है। सरकार ने कानून कुछ महीने निलंबित रखने का भी प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव किसी और ने नहीं, भारत के प्रधानमंत्री ने दिया है।”
मंत्रालय ने कहा, “फिर भी, निहित विरोध समूहों को इन विरोध प्रदर्शनों पर अपने एजेंडे को लागू करने की कोशिश करना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा भारत के गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को देखा गया। एक राष्ट्रीय स्मरणोत्सव, भारत के संविधान के उद्घाटन की सालगिरह को मलिन करने के लिए भारतीय राजधानी में हिंसा और बर्बरता की गई।” आगे कहा गया है, “इनमें से कुछ निहित स्वार्थी समूहों ने भी भारत के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश की है। ऐसे भ्रामक तत्वों से प्रेरित होकर महात्मा गांधी की मूर्तियों को दुनिया के कुछ हिस्सों में उजाड़ दिया गया है। यह भारत के लिए और हर जगह सभ्य समाज के लिए बेहद परेशान करने वाला है।” (आईएएनएस )