गूगल रिसर्च और आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने एक एआई तकनीक तैयार की है, जो उन महिलाओं के बारे में संकेत दे सकती है, जिन्हें स्वास्थ्य सूचना कार्यक्रम से बाहर निकलने का जोखिम है। प्रौद्योगिकी ने गैर-लाभकारी संगठन ‘अरमान’ (एआरएमएमएएन) को स्वास्थ्य कार्यक्रमों में महिलाओं को बनाए रखने और मातृ स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने में मदद की है।
गूगल ने घोषणा की है कि परीक्षण के परिणामों से पता चला है कि एआई तकनीक के उपयोग ने ड्रॉप-ऑफ के जोखिम को 32 प्रतिशत तक कम किया।
‘अरमान’ एममित्र चलाता है, जो एक मुफ्त मोबाइल वॉयस कॉल सेवा है। यह गर्भवती और नई माताओं को समय पर और लक्षित निवारक देखभाल जानकारी भेजता है।
गूगल ने कहा कि ऐसे सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का पालन करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन लोगों को बनाए रखने के लिए समय पर हस्तक्षेप करना मातृ स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने के लिए फायदेमंद है।
टीम इस समय एममित्र में 300,000 से अधिक महिलाओं को शामिल करने की दिशा में काम कर रही है।
गूगल ने शनिवार को एक बयान में कहा कि हम ‘अरमान’ का समर्थन जारी रखने के लिए उत्साहित हैं, क्योंकि प्रोजेक्ट टीम का 2021 में 10 लाख से अधिक माताओं और बच्चों तक इस तकनीक की पहुंच बढ़ाने का लक्ष्य है।
गूगन एआई भारतीय गैर-लाभकारी संस्थाओं और विश्वविद्यालयों को सार्वजनिक स्वास्थ्य, संरक्षण, कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी चुनौतियों को हल करने में मदद कर रहा है।
कंपनी ने 2019 में बेंगलुरु में गूगल रिसर्च इंडिया, एआई लैब की घोषणा की थी। 2020 में गूगल ने एआई फॉर सोशल गुड की घोषणा की। गुगल अनुसंधान और सिंगापुर प्रबंधन विश्वविद्यालय से तकनीकी और वैज्ञानिक योगदान के साथ, वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट ने एआई मॉडल तैयार किए जो महाराष्ट्र के तडोबा में ब्रम्हपुरी वन प्रभाग में मानव-वन्यजीव संघर्ष की भविष्यवाणी करने में मदद करते हैं।
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ये एआई तकनीक ब्रम्हपुरी वन प्रभाग में मानव-वन्यजीव संघर्ष की भविष्यवाणी करने में 80 प्रतिशत से अधिक सटीकता प्रदान करते हैं। यह काम वर्तमान में मध्य प्रदेश के चंद्रपुर जिले में सुरक्षित रूप से तैनाती सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। (आईएएनएस/Swati)