पीएम मोदी ने व्यापार में कम सरकारी हस्तक्षेप पर दिया जोर

निर्माण क्षेत्र के संदर्भ में सरकार की नीतियां और रणनीति दोनों स्पष्ट हैं। इसका मकसद न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन है।

सरकार के कम हस्तक्षेप और कारोबार करने में आसानी की जरूरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र का मानना है कि व्यवसायों में सरकार का हस्तक्षेप समाधान लाने के बजाय और अधिक समस्याएं पैदा करता है। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के एक वेबिनार में मोदी ने कहा कि व्यापार करने में आसानी के अपने दृष्टिकोण के साथ सरकार स्व-विनियमन, स्व-सत्यापन और स्व-प्रमाणन पर जोर दे रही है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विनिर्माण क्षेत्र के संदर्भ में सरकार की नीतियां और रणनीति दोनों स्पष्ट हैं। उन्होंने कहा कि इसका मकसद न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन है।

मोदी ने यह भी कहा कि विनिर्माण क्षेत्र को उत्पादों की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए और “शून्य प्रभाव, शून्य दोष” के आदर्श वाक्य को अपनाना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाएं केवल उन्हीं क्षेत्रों का समर्थन नहीं करती हैं, बल्कि उन क्षेत्रों से संबंधित संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में भी मदद करती हैं।

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निजी क्षेत्रों में सरकारी हस्तक्षेप कम करने पर दिया गया जोर।(सांकेतिक चित्र, Pixabay)

उन्होंने कहा कि उन्नत सेल बैटरी, सौर पीवी मॉड्यूल और विशेष इस्पात को प्रदान किए गए लाभ से देश के ऊर्जा क्षेत्र का आधुनिकीकरण होगा और उसी तरह कपड़ा और एवं प्रसंस्करण क्षेत्र को दिए गए लाभ का प्रतिफल कृषि क्षेत्र पर भी पड़ेगा।

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मोदी का मानना है कि ऑटो और फार्मा सेक्टर के लिए पीएलआई योजनाएं ऑटो पार्ट्स, मेडिकल उपकरण और दवाओं के कच्चे माल के लिए आयात निर्भरता को कम कर देंगी।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पीएलआई योजनाओं के तहत क्षेत्रों में कार्यबल अगले पांच वर्षों में दोगुना हो सकता है। उन्होंने कहा कि बेहतर विनिर्माण क्षमता भी देश में रोजगार सृजन में सुधार करती है।(आईएएनएस-SHM)

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