आंदोलनजीवी और फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी से देश बचे: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की है। पीएम मोदी ने किसानों से मिल बैठकर चर्चा पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने इसमें विपक्ष का भी सहयोग मांगा है। प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा है कि हमें सुधारों को मौका देना चाहिए। एक बार देखना चाहिए कि कोई लाभ होता है या नहीं। अगर कोई कमी होगी तो आगे ठीक की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में अपील करते हुए कहा, हमें आंदोलनकारियों को समझाते हुए देश को आगे ले जाना होगा। आओ मिलकर चलें। कृषि मंत्री लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं। और अभी तक कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है। एक दूसरे को बात समझाने का प्रयास चल रहा है। हम लगातार आंदोलन से जुड़े लोगों से प्रार्थना कर रहे हैं कि आंदोलन खत्म करिए और मिल बैठकर चर्चा करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये बात निश्चित है कि हमारी खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का ये समय है। इस समय को हमें गंवा नहीं देना चाहिए। हमें देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए। पक्ष हो या विपक्ष, इन सुधारों को हमें मौका देने चाहिए। एक बार देखना चाहिए कि इन परिवर्तन से लाभ होता है या नहीं। कोई कमी है तो ठीक करेंगे, कहीं ढिलाई है तो उसे कसेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब भी नई चीज आती है तो असमंजस की स्थिति होती है। हरित क्रांति के समय जो कृषि सुधार हुए, तब भी आशंकाएं हुईं, सख्त फैसले लेने के दौर में तत्कालीन प्रधानमंत्री शास्त्री का हाल ये था कि उनकी सरकार में कोई कृषि मंत्री बनने को तैयार नहीं था। लेकिन, देश की भलाई के लिए शास्त्री आगे बढ़े। तब भी आरोप लगे थे कि अमेरिका के इशारे पर शास्त्री जी ये कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रिकार्ड उत्पादन के बावजूद हमारे कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं। इनका समाधान हम सबको मिलकर करना है। हर कानून में दो, पांच साल के बाद सुधार करने ही पड़ते हैं। जब अच्छे सुझाव आते हैं तो अच्छे सुधार होते हैं। यही लोकतंत्र की परंपरा है।

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मोदी ने कहा कि रिकार्ड उत्पादन के बावजूद हमारे कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं।(फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में दो नए शब्दों के जरिए आंदोलनों को हवा देने वाले नेताओं और एक्टिविस्ट पर निशाना साधा। उन्होंने आंदोलनजीवियों से देश को सावधान रहने की जरूरत बताई। वहीं एफडीआई का नया अर्थ बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी नामक नए एफडीआई से सावधान रहना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हम कुछ शब्दों से बहुत परिचित हैं, जैसे श्रमजीवी और बुद्धिजीवी। पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है, नई बिरादरी सामने आई है। यह जमात है आंदोलनजीवी। वकीलों का आंदोलन हो, मजदूरों का आंदोलन हो, छात्रों या कोई भी आंदोलन हो, ये पूरी टोली वहां नजर आती है। आंदोलन के बगैर जी नहीं सकते। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। ये बहुत आइडियोलॉजिकल स्टैंड दे देते हैं। देश आंदोलनजीवी लोगों से बचे, ऐसे लोगों को पहचानने की बहुत आवश्यकता है। आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश प्रगति कर रहा है। हम एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की बात कर रहे हैं। लेकिन, नए एफडीआई से हमें देश को बचाना है। यह नई एफडीआई है- फारेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी। इस एफडीआई से देश को बचाने के लिए और जागरूक रहने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ लोग भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। जब 84 के दंगे हुए, सबसे ज्यादा आंसू बहे पंजाब में। जो जम्मू-कश्मीर में हुआ, नार्थ ईस्ट में होता रहा। बम-बंदूक और गोलियों का कारोबार होता रहा। इसके पीछे कौन ताकते हैं, हर सरकारों ने जांचा-परखा है। हम यह न भूलें कि कुछ लोग हमारे पंजाब के सिख भाइयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे है। यह देश हर सिख के लिए गर्व करता है। देश के लिए क्या कुछ नहीं किया इन्होंने। जितना आदर करें, वह कम है।(आईएएनएस)

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