इंदौर की अमानवीय घटना के बाद सरकारी मशीनरी का फुटपाथी बुजुर्गों के प्रति बदला नजरिया

By: संदीप पौराणिक

आग लगने के बाद कुआं खोदने की परंपरा पुरानी है, मध्य प्रदेश में फुटपाथी बुजुर्गो के मामले में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। इंदौर देश का साफ-सुथरा शहर है, यहां के नगर निगम का अमला तो सड़क सफाई के नाम पर हाड़ कंपा देने वाली सर्दी के बीच फुटपाथी बुजुर्गो को ही कचरा गाड़ी से शहर के बाहर छोड़ने चल दिया था। मामला उजागर होने के बाद बुजुर्गों को रैनबसेरा में आसरा मिला और अब राज्य के कई हिस्सों में फुटपाथ पर जिंदगी गुजार रहे बुजुर्गों को ठंड से बचाने का अभियान चलाया जा रहा है।

इंदौर में बुजुर्गों के साथ हुए अमानवीय बर्ताव के बाद तीन कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई, साथ ही प्रशासन ने फुटपाथ पर वक्त गुजारने वाले बुजुर्गों के लिए दीनबंधु अभियान शुरु किया है। संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा के अनुसार यह अभियान फुटपाथ पर रहने वाले लोगों और भिक्षावृत्ति में संलग्न व्यक्तियों के पुनर्वास, सहायता, स्वास्थ्य रक्षा आदि शुरु किया गया है। इस विशेष अभियान के अंतर्गत संभाग के सभी जिलों में एक साथ पुनर्वास तथा राहत की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

बताया गया है कि इंदौर संभाग के जिलों में ठंड से बचाव के लिये जरूरतमंदों को कहीं कंबल बांटे जा रहे हैं तो कहीं संवेदनशील पहल करते हुए उनके खाने-पीने तथा आश्रय की व्यवस्था की जा रही है।

संभागायुक्त व निगम प्रशासक डॉ. शर्मा ने बताया कि असहाय व्यक्तियों व भिक्षुकों के बचाव के लिये निगम के रैन बसेरा में गर्म कपड़े, कंबल, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है। शहर में सड़क किनारे रहने, सोने वाले बेसहारा व्यक्ति तथा भिक्षावृत्ति करने वाले व्यक्तियों का अरविंदो हॉस्पिटल के सहयोग से मेडिकल चेकअप कराने का अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही मेडिकल चेकअप उपरांत आवश्यकता अनुसार चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

भारत सरकार के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा भिक्षुकों की संख्या के आधार पर भिक्षुक पुनर्वास के लिए चयनित 10 शहरों में इंदौर को भी शामिल किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य भिक्षावृत्ति करने वाले समुदाय को चिन्हांकित कर उनके पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करना है। इस योजना के आरंभिक चरण में शहर में भिक्षावृत्ति एवं भिक्षुकों के रहने वाली जगहों का वास्तविक चिन्हांकन, सर्वेक्षण डेटा का कलेक्शन एवं क्लासिफिकेशन, सर्वेक्षण से प्राप्त डाटा अनुसार भिक्षुकों को उनकी कौशल क्षमता-अक्षमता के आधार पर पुर्नवास कराया जायेगा।

footpath old people in indore
सड़क किनारे जीवन बिताने वाले बुजुर्गों और भीख मांगने वालों के लिए सहायता मुहैया कराई जा रही है।(सांकेतिक चित्र, Pixabay)

इंदौर संभाग के बड़वानी, खरगोन, खंडवा, अलिराजपुर, धार और झाबुआ में सड़क किनारे जीवन बिताने वाले बुजुर्गों और भीख मांगने वालों के लिए सहायता मुहैया कराई जा रही है।

इसी तरह जबलपुर में भी फुटपाथ पर वक्त गुजरने वालों की मदद के लिए जिला प्रशासन आगे आया है। यहां बढ़ती ठंड के मद्देनजर सड़क किनारे, खुले में एवं फुटपाथों पर सोने वाले निराश्रित और बेसहारा लोगों को रैन बसेरों तक पहुंचाने के लिए व्यापक मुहिम चलाई जा रही है।

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जिलाधिकारी कर्मवीर शर्मा ने निगमायुक्त अनूप कुमार को साथ लेकर रात को शहर के कई क्षेत्रों का भ्रमण कर खुले में सोने वाले निराश्रित, बेसहारा और भिक्षुकों से व्यक्तिगत चर्चा की एवं उन्हें तत्काल ही बस एवं अन्य वाहनों से रैन बसेरों तक पहुंचाने की व्यवस्था कराई। वहीं शहरी क्षेत्र के एसडीएम एवं नगर निगम की अधिकारियों की अलग-अलग टीमें बनाई हैं, जो नियमित रूप से वाहनों के साथ शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर खुले में रात बिताने वाले लोगों को चिन्हित करेंगे एवं संबंधित स्थलों के आसपास संचालित रैन बसेरों में भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।

आम तौर पर ठंड आते ही प्रमुख स्थलों पर अलाव जलाने का सिलसिला शुरु हो जाता था, मगर इस बार बहुत कम ही स्थान ऐसे हैं जहां अलाव जैसी व्यवस्था की गई है। एक तरफ जहां बुजुर्गों और भीख मांगने वालों के लिए वो इंतजाम नहीं किए गए हैं जो पहले कभी हुआ करते थे, वहीं दूसरी ओर बुजुर्गों से अमानवीय व्यवहार किया गया है। अब सरकारी मशीनरी हरकत में आई है, देखना हेागा यह सक्रियता कब तक रहती है।(आईएएनएस)

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