आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति के बावजूद, साल 2019 में देश भर के 161 पुलिस जिले आतंकवाद और माओवाद से प्रभावित रहे। ये जिले विशेषकर झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में हैं। हाल ही में ब्यूरो ऑफ होम रिसर्च ने यह जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी है।
पिछले दस सालों (2010-2019) के दौरान आतंकवादी या चरमपंथी समस्या से प्रभावित पुलिस जिलों की संख्या मिश्रित प्रवृत्ति को दशार्ती है। 2010 से 2014 तक मामूली कमी देखी गई और इसके बाद 2015-17 से मामूली वृद्धि हुई। हालांकि, 2018 के 174 की तुलना में 2019 में देश में आतंकवाद या उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या में थोड़ी गिरावट आई। अब गृह मंत्रालय का फोकस 2021 में इसे और कम करना है।
वार्षिक रिपोर्ट के बाद, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में मंत्रालय के संबंधित विंग ने आतंकवाद प्रभावित जिलों की संख्या को कम करने के लिए सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशकों से संपर्क किया है।
दिसंबर 2020 की शुरूआत में, अमित शाह ने जोर दिया था कि आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ होनी चाहिए और सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया कि भारत को एक विकसित और सुरक्षित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम करें। मंत्री ने शनिवार को यह भी जोर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और केंद्र सरकार सुरक्षा से संबंधित सभी पहलुओं पर ध्यान देने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रही है।
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2019 में झारखंड शीर्ष पर था जहां 22 जिले आतंकवाद या चरमपंथी समस्या से प्रभावित थे, उसके बाद बिहार (17); असम और मणिपुर (16 प्रत्येक); ओडिशा और जम्मू और कश्मीर (प्रत्येक 15); छत्तीसगढ़ (14); नागालैंड (11); तेलंगाना (8); आंध्र प्रदेश (6); केरल और पश्चिम बंगाल में पांच-पांच; अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में तीन-तीन; और मध्य प्रदेश (2) का स्थान है।
रिपोर्ट में वर्णित एक ग्राफ से पता चलता है कि 2011 में प्रभावित होने वाले पुलिस जिलों की संख्या 188 थी, जो 2012 में घटकर 176 जिले हो गई। 2013 में 173 जिले प्रभावित थे और और 2014 में 170 जिले। 2015 में 172 जिलों की थोड़ी सी छलांग के साथ, 2016 में यह संख्या 181 हो गई और 2017 में 188। (आईएएनएस)