दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति ने शहर में मैनुअल सफाई के कारण धूल और वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को तीनों एमसीडी के आयुक्तों को तलब किया। पर्यावरण समिति के मुताबिक, यह चौंकाने वाली बात है कि दिल्ली के निगम आयुक्तों को अपने अधिकार क्षेत्र की सड़कों की लंबाई के बारे में जानकारी नहीं है। दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति की अध्यक्ष आतिशी ने कहा, “तीनों एमसीडी के आयुक्त कोई सही योजना पेश नहीं कर सके। मैकेनिकल सफाई करने वाले ठेकेदार द्वारा निर्धारित क्षेत्र की सफाई नहीं करने की स्थिति में जुर्माने की कोई व्यवस्था नहीं है।”
समिति के सदस्य विधायक अजय दत्त ने कहा कि तीनों एमसीडी को धूल प्रदूषण को कम करने के लिए कार्य योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है, डीपीसीसी को दिल्ली में धूल के बढ़ते स्तर के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। दिल्ली में धूल और वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर तीनों नगर निगम से स्पष्टीकरण मांगा कि मैकेनिकल स्वीपिंग क्यों नहीं की जा रही है। समिति ने कहा कि तीनों एमसीडी की लापरवाही चौंकाने वाली थी।
आतिशी ने कहा, “तीनों एमसीडी में से किसी को भी यह नहीं पता था कि उनके निगम क्षेत्र में कुल कितनी लंबी सड़कों की सफाई मैकेनिकल स्वीपिंग के जरिए हो रही है। इसके अलावा मैकेनेकिल स्वीपिंग करने वाले ठेकेदार द्वारा निर्धारित क्षेत्र की सफाई नहीं करने पर जुर्माने की कोई व्यवस्था नहीं है।”
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दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति ने एमसीडी अधिकारियों को मैकेनाइज्ड स्वीपिंग करने को कहा है। बैठक में पाया गया कि अधिकारियों को एनजीटी के आदेशों की पूरी जानकारी नहीं थी। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए आयोजित बैठक में कहा गया कि दिल्ली में सड़क की धूल, वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। एनजीटी के आदेशों के अनुसार सभी एमसीडी को मैनुअल स्वीपिंग से होने वाली एसपीएम को कम करने के लिए एमआरएस मशीनों का उपयोग करने के लिए निर्देशित किया गया।
जब सड़कों की लंबाई के आधार पर सफाई के नियमों को लेकर सवाल किया गया तो अधिकारी कुल मशीनों की संख्या और अनुबंध के आधार पर काम करने के मापदंड से अनजान थे। इस संबंध में समिति ने तीनों निगमों को 7 दिन में विस्तृत योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति ने आतिशी की अध्यक्षता में एमसीडी के एमआरएस मशीनों का उपयोग बढ़ाने को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनाने पर सवाल खड़े किए। एनजीटी ने धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के संबंध में एमसीडी को एसपीएम को नियंत्रित करने के लिए एमआरएस मशीनों का इस्तेमाल करने के लिए आदेश दिया था। दिल्ली के लोगों के लिए एसपीएम गंभीर चुनौती है।
समिति ने एमआरएस मशीनों की स्थिति और एनजीटी के आदेशों का पालन करने को लेकर एमसीडी की योजना को लेकर पूछताछ की। बैठक के दौरान पाया गया कि एमसीडी के पास अपने अधिकार क्षेत्र में इसका विस्तार करने के लिए कोई स्पष्ट कार्य योजना नहीं है। (आईएएनएस )