आम जीवन में यह सिद्धांत बहुत लोकप्रिय है कि मोबाइल फोन हमारी बातचीत को गुप्त रूप से सुनते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है। स्मार्टफोन द्वारा निगरानी किए जाने के बारे में व्यक्तिगत अनुभव साझा करने वाले पोस्ट अक्सर मीडिया में देखे जाते हैं फिर चाहे वह चीनी मीडिया हो या पश्चिमी मीडिया। चीन ने पिछले साल अक्टूबर में देश के पहले व्यक्तिगत सूचना संरक्षण कानून के एक मसौदे का खुलासा किया, जिसने लोगों में गोपनीयता संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा की।
श्याओ उपनाम के एक इंटरनेट यूजर उनमें से एक हैं जो आश्वस्त हैं कि उनकी निजी बातचीत उनके फोन द्वारा रिकॉर्ड की गई है। श्याओ को इसकी आशंका तब हुई जब एक बार उनके दोस्त के माता-पिता ने उनसे विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बारे में फोन पर बातचीत की। बातचीत खत्म होने के मात्र दो घंटे बाद ही श्याओ के फोन पर अलीबाबा के एक ऐप पर विश्वविद्यालयों की कक्षाओं के विज्ञापन आने लगे। यह देखकर श्याओ को काफी हैरानगी हुई। बहुत याद करने पर श्याओ को समझ में आया कि यह सब फोन पर हुई बातचीत का नतीजा है।
जब श्याओ ने इस बात की जानकारी अपने दोस्तों को दी, तो उनमें से कई दोस्तों ने ऐसे ही मिलते-जुलते अनुभव के बारे में बताया। कई लोकप्रिय चीनी शॉपिंग, मैसेजिंग और वीडियो ऐप्स को गुप्त रूप से रिकॉडिर्ंग और निजी बातचीत का दुरुपयोग करने के रूप में देखा जाता है। वेइपो पर एक यूजर ने लिखा, एक दिन मेरी पत्नी ने फोन करके चिकन लाने की फर्माइश की। थोड़ी देर बाद जब मैंने अपने फोन पर एक वीडियो ऐप खोला तो उसमें मेरे लिए शुरूआती सभी वीडियो खाना पकाने वाले थे।
इन सभी अनुभवों को सुनकर ऐसा लगता है कि वाकई फोन हम पर पूरी नजर बनाए रखते हैं, लेकिन फोन में ऐप मॉनीटर होना, चिंता का विषय नहीं है। चीनी ऐप फर्म और सूचना सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इस धारणा की पुष्टि के लिए कोई सबूत भी नहीं हैं। शॉर्ट वीडियो ऐप टिकटॉक में कार्यरत तकनीकी विशेषज्ञ ली तोंगतोंग के अनुसार से उपयोगकर्ताओं की रुचियों और वरीयताओं के बारे में उनकी बातचीत के माध्यम से जानना अन्य कानूनी साधनों की तुलना में प्रभावी नहीं है।
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ली ने बताया कि अभी स्वचालित भाषण मान्यता के लिए एल्गोरिथ्म तकनीक अपने शुरूआती दौर में है। इसके अलावा रिकॉर्ड की गई गुप्त आवाज की खराब क्वालिटी के चलते उपयोगकर्ताओं की रोजमर्रा की बातचीत से कुछ डेटा निकाल पाना बेहद मुश्किल है। शांगहाई स्थित सूचना सुरक्षा विशेषज्ञ एलन का भी यही मानना है कि यह निजी बातचीत की रिकॉडिर्ंग करना या किसी के फोन का डेटा चुराने के लिए बैक-एंड ऑपरेटिंग और कंप्यूटिंग की आवश्यकता होगी, जो कि आसान नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कंपनियों को उपयोगकर्ताओं के हितों को गोपनीयता संरक्षण के संदर्भ में निजता नीति का पालन करना जरूरी है। ऐसे में अगर इस तरह का घोटाला सामने आ जाए, तो कई नकारात्मक प्रभाव सामने आ सकते हैं, जैसे- यूजर्स का ऐप/कंपनी को छोड़ देना, शेयर की कीमतों में भारी गिरावट, इतना ही नहीं, कंपनी की साख पर बट्टा तक लगा सकती है।
ली के मुताबिक चीन के साइबर सुरक्षा कानून स्पष्ट रूप से निर्धारित करता है कि नेटवर्क ऑपरेटरों को कानूनी जानकारी, न्याय और आवश्यकता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए और सार्वजनिक रूप से व्यक्तिगत जानकारी का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, एक ऐप किसी ऐप स्टोर पर उपलब्ध होने से पहले सख्त समीक्षा और परीक्षण से गुजरता है। एलन ने इस बात पर जोर दिया कि ऐप अपने उपयोगकर्ताओं की छवि के आधार पर ही विज्ञापन दिखाते हैं, जो उन सूचनाओं के माध्यम से बनाए जाते हैं जिन तक पहुंचने की अनुमति यूजर्स खुद देते हैं, जैसे कि उनकी संपर्क सूची, स्थान और फोटो। फेसबुक डाटा लीक विवाद की वजह से सोशल नेटवकिर्ंग कंपनी फेसबुक को करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ। यूजर्स के डाटा को सुरक्षित न रख पाने की वजह से फेसबुक की काफी आलोचना हुई। फेसबुक डाटा लीक में शुरूआती जांच से पता चला कि थर्ड पार्टी ऐप्स को अनुमति देने की वजह से ही यह घटना संभव हो पाई। लेकिन इन सब बातों को सोचकर यह करना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कुछ सावधानी बरतकर हम अपने डेटा या निजी जानकारियों को लीक होने से आसानी से बचा सकते हैं। इसके अलावा यह सोचना कि सभी ऐप्स हमारे निजी डेटा चुराते हैं, सही नहीं होगा। ( आईएएनएस)