ई कॉमर्स कंपनियां नागरिकों को भुखमरी की कगार पर न पहुंचा दे : गोयल

 केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Piyush goyal) को भेजे गए एक पत्र में कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) (कैट) ने एफडीआई (FDI) नीति 2016/2018 के प्रेस नोट नंबर 2 की जगह एक नए प्रेस नोट की आवश्यकता पर जोर दिया। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल (Praveen Khandelwal) ने गोयल को भेजे गए पत्र में कहा कि एफडीआई नीति 2016 के प्रेस नोट संख्या 2 के ई-कॉमर्स (E-commerce|) खंड में एफडीआई नियमों का अमेजॅन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) जैसी विदेशी कंपनियां खुलेआम माखौल उड़ा रही है, वे अपनी मोटी जेब का इस्तेमाल कर भारतीय रिटेल सेक्टर (Retail sector) को पूरी तरह बर्बाद करने पर तुली है और वे तब तक नही रुकेगी जब तक भारत के 40 करोड़ नागरिकों को भुखमरी की कगार पर न पहुंचा दे। यह दिन दहाड़े की गई डकैती से कम नहीं है। न केवल ई-कॉमर्स व्यवसाय को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि अपने गुप्त एजेंडों को लागू कर भारतीय रिटेल पर पूरी तरह हावी होने की कोशिश भी की जा रही है।

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि देश के कानून का सम्मान करने के बजाए प्रेस नोट संख्या 2 के प्रत्येक नियमों को जानबूझकर ये विदेशी कंपनियां द्वारा ताक पर रखा जा रहा है। ये भारत (India) को बनाना रिपब्लिक समझ रही है। ऐसी विकट स्थिति और विशेष रूप से वर्तमान में दूषित हुए ई-कॉमर्स व्यवसाय के मद्देनजर, ई-कॉमर्स में एफडीआई से संबंधित कानून, नियमों और विनियमों की पवित्रता की रक्षा करने की जिम्मेदारी सरकार पर है। इसलिए एक नया सशक्त प्रेस नोट की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है।

एक नए प्रेस नोट (Press note) को जल्द जारी करने पर जोर देने के साथ साथ दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि देश के कानून की रक्षा के लिए ये जरूरी है जिससे इन विदेशी कंपनियों को साफ सन्देश दिया सके कि ई कॉमर्स में एफडीआई बेहद आवश्यक और अनिवार्य है और इसके तहत जो भी प्रतिबंध लगाए गए हैं उनका उल्लंघन आसान नही होगा।

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि इस तरह के नियंत्रण से उन्हें मूल मूल्य निर्धारण, डीप डिस्काउंटिंग (Deep discount), कैपिटल डंपिंग (capital dumping) के साथ विक्रेताओं के अधिमान्य चयन की अनुमति मिलती है। और ये सब बाजार में हिस्सेदारी हासिल करने और 8.5 करोड़ छोटे व्यापारियों, उनके आश्रित परिवारों और कर्मचारियों की आजीविका की कीमत पर नाजायज वित्तीय लाभ कमाने के इरादे से किया जा रहा है।

कॉमर्स के मार्केटप्लेस (Market plus) मॉडल पर लगाए गए प्रतिबंध को दरकिनार करने के लिए, इन विशाल विदेशी ई-कॉमर्स (E-commerce) संस्थाओं द्वारा एक आम प्रथा अपनाई जा रही है जिसके तहत ये विक्रेता बन कर सहबद्ध कंपनिया बना रहे हैं जिसके जरिये वे उनके व्यापार पर पूरा नियंत्रण हासिल कर सके।

इन खामियों को दूर करने के लिए कैट ने ई-कॉमर्स में एफडीआई नीति पर एक नया प्रेस नोट जारी करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल करने की मांग की है।

ई-कॉमर्स में एफडीआई नीति पर एक नया प्रेस नोट जारी करने की मांग | (सांकेतिक चित्र,Pexel)

‘मार्केटप्लेस मॉडल’ और ‘इन्वेंट्री आधारित मॉडल’ के बीच की सीमा को स्पष्ट रूप से सीमांकित करने के लिए, किसी भी प्रकार का प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष, इक्विटी या आर्थिक संबंध कॉमर्स मार्केटप्लेस इकाई और इसके प्लेटफॉर्म पर विक्रेता के बीच निषिद्ध होना चाहिए। इस प्रयोजन के लिए, ‘बाजार इकाई’ और ‘विक्रेता’ के बीच किसी भी प्रकार का संबंध, चाहे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, इक्विटी या आर्थिक या अन्यथा कड़ाई से प्रतिबंधित होना चाहिए।

मार्केटप्लेस और सेलर के बीच इस तरह के निषिद्ध संबंध को शामिल किया जा सकता हैं, लेकिन समूह कंपनियों, सहयोगी कंपनियों, संबंधित पक्षों, एसोसिएट कंपनियों, लाभकारी मालिकों या किसी अन्य व्यक्ति तक सीमित नहीं किया जा सकता हैं जो इस तरह के नियंत्रण का उपयोग कर सकते हैं।

कॉमर्स के बाजार आधारित मॉडल का मतलब होगा ई-कॉमर्स इकाई द्वारा एक सूचना प्रौद्योगिकी डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रावधान, जो केवल खरीदार और विक्रेता के बीच एक सुविधा के रूप में कार्य करता है।

कॉमर्स के इन्वेंट्री आधारित मॉडल का मतलब होगा ई-कॉमर्स (E-commerce) गतिविधि जहां माल और सेवाओं की सूची ई-कॉमर्स इकाई के स्वामित्व में होंगी और उपभोक्ताओं को सीधे बेची जाती है।

कॉमर्स मार्केटप्लेस इकाई और उसकी समूह की कंपनियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, इन्वेंट्री का स्वामित्व या नियंत्रण नहीं रखेगी, अर्थात बाजार पर बेची जाने वाली वस्तुएं या सेवाएं। इस तरह के स्वामित्व या उनकी सूची पर नियंत्रण, व्यापार को सूची-आधारित मॉडल में प्रस्तुत करेगा।

यह भी पढ़े  :- व्हाट्सएप ने व्हाट्सएप वेब और डेस्कटॉप के लिए एक नई सुरक्षा सुविधा की घोषणा की !

मार्केटप्लेस इकाई और उसकी समूह की कंपनियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बाजार को बेचने वाले को बेची जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं की इन्वेंट्री को नहीं बेचेंगे। कोई भी सामान या सेवाएं जो बाजार की समूह कंपनियों द्वारा बेची जाती हैं और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में फिर से बेची जाती हैं, तो ऐसी खरीद फरो़ख्त को ई-कॉमर्स के इन्वेंट्री आधारित मॉडल के रूप में माना जाएगा।

कॉमर्स मार्केटप्लेस इकाई के समूह कंपनियों द्वारा अपनी सूची पर स्वामित्व या नियंत्रण रखने वाले विक्रेता को बाजार पर अपने सामान या सेवाओं को बेचने की अनुमति नहीं है।

बाजार में बिक्री के लिए बेची जाने वाली इनवेंटरी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उसकी समूह की कंपनियों के अनुसार बाजार में बेचने वाले की सूची ई-कॉमर्स बाजार संस्था द्वारा नियंत्रित की जाएगी।

इसके अलावा, प्रत्येक मार्केटप्लेस इकाई और उसके सहयोगी, समूह की कंपनियां, सहयोगी सरकार या किसी नियामक द्वारा आवश्यक विवरण, सूचना, प्रावधानों के अनुपालन के सत्यापन के लिए समय-समय पर सभी विवरण, सूचना, दस्तावेज, बयान और विवरण प्रदान करेंगे। (आईएएनएस-SM)
 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here