By: नवनीत मिश्र
वह संघ के ऐसे तेजतर्रार प्रचारक हैं, जो कन्नड़, तमिल, हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में धाराप्रवाह बोलते हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर उन्होंने इंदिरा गांधी सरकार में देश पर थोपे गए आपातकाल का तीखा विरोध किया। नतीजा, उन्हें मीसा एक्ट में डेढ़ साल से ज्यादा समय तक जेल जाना पड़ा। संगठक ऐसे हैं, कि उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को सबसे मजबूत छात्र संगठन बनाने में अहम भूमिका निभाई, वहीं अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम(यूके) में हिंदू स्वयंसेवकों को एकजुट करने के लिए बने हिंदू स्वयंसेवक संघ के मेंटर की भी भूमिका निभाई।
बात हो रही है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नए सरकार्यवाह(जनरल सेक्रेटरी) दत्तात्रेय होसबोले की। कर्नाटक के एक छोटे से गांव से निकले दत्तात्रेय होसबोले, अगले तीन वर्ष के लिए आरएसएस में संगठन संचालन के लिहाज से अतिमहत्वपूर्ण नंबर दो का पद संभालेंगे। अभी तक वह संघ के सह सरकार्यवाह(ज्वाइंट जनरल सेक्रेटरी) का दायित्व देख रहे थे। इस दौरान उनका केंद्र लखनऊ रहा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में लोग उनका पूरा नाम लेने की जगह आदरपूर्वक ‘दत्ताजी’ कहकर ही पुकारते हैं। अंग्रेजी लिटरेचर से मास्टर्स की पढ़ाई करने वाले दत्तात्रेय होसबोले साहित्यिक गतिविधियों में काफी रुचि के लिए जाने जाते हैं। संघ के एक पदाधिकारी ने आईएएनएस को बताया, “छात्र जीवन से ही दत्ताजी साहित्यिक गतिविधियों में रुचि लेते रहे। कर्नाटक के लगभग सभी प्रसिद्ध लेखकों और पत्रकारों के साथ उनकी निकटता रही, जिनमें वाई एन कृष्णमूर्ति और गोपाल कृष्ण जैसे प्रमुख नाम शामिल रहे। वह एक कन्नड़ मासिक भी संचालित कर चुके हैं।”
कर्नाटक के शिमोगा जिले के सोरबा तालुक के एक छोटे से गांव के दत्तात्रेय रहने वाले हैं। एक आरएसएस कार्यकर्ता के परिवार में 1 दिसंबर 1955 को जन्मे दत्तात्रेय होसबोले करीब 13 वर्ष की उम्र में वर्ष 1968 में संघ से जुड़े। आगे चलकर वह 1972 में संघ परिवार के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में चले गए। वर्ष 1978 में एबीवीपी के फुलटाइम कार्यकर्ता बन गए। दत्तात्रेय ने 15 वर्ष तक लगातार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रहकर इस संगठन को मजबूत बनाया। इस दौरान उनका केंद्र मुंबई रहा।
शिक्षा की बात करें तो दत्तात्रेय होसबोले की शुरूआती पढ़ाई-लिखाई उनके गांव में हुई। वह कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए बेंगुलुरु पहुंचे और नेशनल कॉलेज में एडमिशन लिए। उन्होंने बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में मास्टर्स की शिक्षा ली। इंदिरा गांधी के शासनकाल में लगे आपातकाल के दौरान एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर दत्तात्रेय होसबोले मुखर रहे। वर्ष 1975 से 1977 के बीच करीब 16 महीने वह आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम(मीसा एक्ट) के तहत जेल में बंद रहे।
संघ के एक प्रमुख पदाधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि दत्तात्रेय होसबोले युवाओं की ऊर्जा का रचनात्मक इस्तेमाल करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने युवाओं के लिए भी खासा काम किया। उन्होंने असम के गुवाहाटी में यूथ डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। वल्र्ड ऑर्गनाइजेशन ऑफ स्टूडेंट एंड यूथ भी स्थापित कर चुके हैं। वह बौद्धिक रूप से बहुत प्रखर हैं। यही वजह है कि उनकी प्रतिभा को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष अधिकारियों ने 2004 में उन्हें संगठन का सह बौद्धिक प्रमुख बनाया।
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वर्ष 2009 में जब डॉ. मोहन भागवत संघ के सरसंघचालक बने तो दत्तात्रेय होसबोले को उन्हें अपनी टीम में सह सरकार्यवाह(ज्वाइंट जनरल सेक्रेटरी) बनाया। लगातार 12 साल जिम्मेदारी निभाने के बाद आज 20 मार्च 2021 को उन्हें सरकार्यवाह(जनरल सेक्रेटरी) पद पर सर्वसम्मति से चुना गया। दत्तात्रेय होसबोले, सुरेश भैयाजी जोशी का स्थान लेंगे, जो वर्ष 2009 से लगातार सरकार्यवाह की जिम्मेदारी देख रहे थे।
नागपुर के संघ विचारक दिलीप देवधर ने आईएएनएस से कहा, “संघ में सरसंघचालक का पद मार्गदर्शक का होता है, लेकिन सरकार्यवाह(महासचिव) ही पूरे संगठन की प्रशासनिक व्यवस्था चलाते हैं। सरकार्यवाह को संगठन के संचालन के लिए अपनी टीम बनाने का अधिकार होता है। संघ इस नई भूमिका के लिए दत्तात्रेय होसबोले को लंबे समय से गढ़ने का कार्य कर रहा था। जब आज अनुकूल समय आया तो उन्हें संघ में अति महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी दी गई।”(आईएएनएस-SHM)