कोरोना संक्रमण काल में बच्चों को पौष्टिक सब्जियां मिल सकें, इसके लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अनुपम पहल की गई है। यहां के लगभग डेढ़ सौ विद्यालयों में किचेन गार्डन बनाए गए हैं और यहां उगाई जाने वाली सब्जियां बच्चों के मध्यान्ह भोजन में उपलब्ध कराई जा रही हैं। बात हम करें चेतूपाड़ा के सरकारी स्कूल की तो वहां पहुंचते ही विभिन्न प्रजातियों की सब्जियों के पेड़ों पर फल और फूल नजर आते हैं। इस स्कूल का किचेन गार्डन अपनी सम्पन्नता की कहानी खुद बयां करता है। किचिन गार्डन में जैविक तरीके से पैदा हो रही लौकी, तोरई, भिण्डी, बैगन, पालक, मेथी, धनिया एवं हरी मिर्च जैसी पौष्टिक सब्जियां पकाकर यहां के बच्चों को मध्यान्ह भोजन में दी जा रही हैं। जाहिर है बच्चों के पोषण को इन किचेन गार्डन से नई संजीवनी मिल गई है।
कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल में बच्चों को पका हुआ भोजन नहीं मिल पाने पर उन्हें कच्चे राशन के साथ सब्जियां भी दी जा रही हैं। बच्चों को किचेन गार्डन में उगाई गई सब्जियों को वितरित किया जाता है। बताया गया है कि जिला पंचायत ग्वालियर की पहल पर सरकारी स्कूलों के बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिए जिले के 150 सरकारी स्कूलों में किचेन गार्डन तैयार कराए गए हैं। इनमें जनपद पंचायत मुरार के 35, घाटीगांव के 37, डबरा के 38, एवं भितरवार के 40 शासकीय स्कूल शामिल हैं।
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जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी शिवम वर्मा बताते हैं कि जिले के इन शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में किचिन गार्डन बनाने के लिये उन्नत सब्जियों के बीज, खाद तथा कृषि उपकरण खरीदने के लिये चयनित प्रत्येक विद्यालय को पांच हजार रूपए की धनराशि दी गई है। किचेन गार्डन के संचालन में स्व-सहायता समूहों की दीदी, रसोईया एवं स्कूल के शिक्षक अहम भूमिका निभा रहे हैं।
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण जब लोग बाहर की खान-पान की वस्तुओं से बच रहे थे। ऐसे में ग्वालियर के सरकारी स्कूलों के किचेन गार्डन बच्चों के लिये वरदान साबित हुए हैं। किचेन गार्डन में जैविक तरीके से पैदा हो रहीं सब्जियां बच्चों की सेहत के लिए लाभकारी साबित हो रही हैं (आईएएनएस )