टाटा समूह के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा कि कोविड-19 का नवाचार (इनोवेशन) पर प्रभाव सर्वव्यापी रहा है और घर से काम करने (वर्क फ्रॉम होम) के मॉडल ने सभी कंपनियों को भविष्य में काम को लेकर पुनर्विचार करने पर मजबूर किया है। फिक्की के 93वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान ‘इंस्पायर्ड इंडिया : ए बिजनेस लीडर पर्सपेक्टिव’ विषय पर एक सत्र को संबोधित करते हुए चंद्रशेखरन ने कोविड-19 के पड़ने वाले प्रभावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “2020 का दशक भारत का है।”
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के बाद बनी वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में भारत के लिए अपार संभावनाएं होंगी, लेकिन उनका फायदा उठाने के लिए सरकार को डेटा प्राइवेसी के रेगुलेटरी स्टैंडर्ड लागू करने की जरूरत होगी।चंद्रशेखरन ने कहा कि इसके लिए उद्योग जगत को साहसिक कदम उठाने होंगे और उसको परियोजनाओं को विस्तृत दृष्टिकोण से देखना शुरू करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि टैलेंट पर नए सिरे से फोकस करना होगा और डेटा के अलावा बैंडविड्थ पर भी काम करना होगा।
उन्होंने कहा, “हम आमतौर पर बिजली, परिवहन और श्रम से जुड़ी समस्याओं की बात करते हैं। हम ऊंची ब्याज दरों और सरकारी दखलअंदाजी का जिक्र करते हैं। लेकिन हम इनको भुलाकर आगे बढ़ने में कामयाब रहे तो हम नई वैश्विक व्यवस्था की धुरी बन सकते हैं।”
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उद्योग जगत और सरकार की साझीदारी
टाटा समूह के चेयरमैन ने कहा, “उद्योग जगत और सरकार को मिलकर काम करना होगा। सरकार को उसके साथ साझीदारी करनी होगी और भारत को नई दुनिया के साथ कदमताल के लिए तैयार करना होगा। यह पक्का करना होगा कि पर्याप्त बैंडविड्थ और किफायती डेटा गांव-गांव तक पहुंचे।”उन्होंने कहा कि सरकार को डेटा प्राइवेसी, डेटा रेजिडेंसी, डेटा लोकलाइजेशन और टैक्सेशन से जुड़े रेगुलेटरी स्टैंडर्ड बनाने होंगे।
चंद्रशेखरन ने कहा, “मुझे उद्योग और सरकार के बीच एक सहयोगी भूमिका दिखाई देती है। उद्योग को साहसिक होना चाहिए और सभी परियोजनाओं को बड़े पैमाने पर शुरू करना चाहिए और सरकार को इस साझेदारी को सक्षम बनाना चाहिए और भारत को इस नई दुनिया में भाग लेने के लिए तैयार करना चाहिए।” इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रव्यापी संपूर्ण प्रौद्योगिकी खाका को फिर से जोड़ने की आवश्यकता का हवाला दिया।
ऐसा करने के लिए, उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि ‘रोबोटिक्स और एआई’ जैसी तकनीकें विनिर्माण के मुख्य आधार का हिस्सा बनें। (आईएएनएस)