कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने पार्टी को संकट के समय संभाला

कांग्रेस पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी आज 74 साल की हो गईं हैं। वह भारत की सबसे पुरानी पार्टी की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली अध्यक्ष हैं।

Congress chief Sonia Gandhi handled the party during crisis
कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी। (INC)

सोनिया गांधी, जिनका जन्म 1946 में इतालवी शहर लूसियाना कोन्को में हुआ था, वह भारत की सबसे पुरानी पार्टी की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली अध्यक्ष हैं।

संकट के समय पार्टी को संभाला

शुरुआत में सोनिया गांधी की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी। राजीव गांधी के गुज़र जाने के बाद जब कांग्रेस के नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष चुना गया, तो उन्होंने इस पद को अस्वीकार कर दिया था। हालाँकि आगे चल कर पुनः पार्टी के नेताओं के आग्रह पर ही सोनिया गांधी ने 1998 में पार्टी का नेतृत्व संभाला। उस समय कांग्रेस पार्टी का पतन होता दिख रहा था। कई लोग पार्टी छोड़ कर चले गए थे। ऐसे संकट के समय में सोनिया गांधी ने ही पार्टी को पटरी पर लाने का दायित्व उठाया।

यह भी पढ़ें – ‘ऑपरेशन तलवार’, भारतीय नौ सेना के शौर्य की कहानी

और आगे चल कर 2004 में चुनी गई यूपीए की सरकार बनाई और 2014 तक देश की सबसे शक्तिशाली व्यक्ति भी रहीं। गौरतलब है कि तब से पार्टी लगातार दो आम चुनाव हार चुकी है।

Congress chief Sonia Gandhi handled the party during crisis
प्रेस वार्ता के दौरान कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी। (INC)

कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी कलह

बीते वर्षों में सोनिया गांधी ने उतार-चढ़ाव दोनों देखे हैं, लेकिन इस समय पार्टी के भीतर चीजें ठीक नहीं हैं क्योंकि आंतरिक विद्रोह कुछ समय से बढ़ रहा है और पार्टी सभी प्रकार के चुनावों में भाजपा के विजयी रथ को रोक नहीं पाई है। जी 23, जो 23 सदस्यों का एक समूह है, और जिसने पार्टी में सुधारों के बारे में कड़ा पत्र लिखा था, वह भरोसा नहीं कर पा रहा है। बिहार चुनाव में हार के बाद इन लोगों ने फिर से अपनी चिंता जताई है। जैसे-जैसे कांग्रेस असम, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु के महत्वपूर्ण राज्यों में चुनावी अभियान की तैयारी कर रही है वैसे-वैसे पार्टी अपने भीतर की अंदरूनी कलह से भी जूझ रही है।

पार्टी के पुराने नेता सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी की कार्यशैली के खिलाफ हैं और उनके फैसलों से खुश नहीं हैं।

पार्टी जल्द ही अध्यक्ष पद का चुनाव कराने जा रही है और अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अगर राहुल गांधी खड़े होते हैं तो वो निर्विरोध जीत जाएंगे लेकिन अगर वह उम्मीदवार खड़ा करते हैं तो पद निर्विरोध नहीं जीता जा सकेगा। पार्टी के सदस्य खुले तौर पर नामांकन संस्कृति के खिलाफ आ गए हैं।

अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए – Penguin To Publish A Book On Former Prime Minister-“VAJPAYEE: The Years that Changed India”

इन सब के बीच सोनिया गांधी ने कुछ समय पहले ही कोविड की वजह से पार्टी का संकटमोचक समझे जाने वाले नेता अहमद पटेल को भी खो दिया है। उनके निधन पर शोक जताते हुए सोनिया गांधी ने कहा था – “मैंने एक कॉमरेड, एक वफादार सहकर्मी और एक दोस्त खो दिया है, जिनकी जगह कोई नहीं ले सकता।”

उससे कुछ दिन पहले दिल्ली में गंभीर प्रदूषण से बचने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को गोवा की ओर रुख करना पड़ा। डॉक्टरों ने ही उन्हें दिल्ली से बाहर जाने की सलाह दी थी।

सोनिया गांधी ने किसान संकट और कोविड-19 महामारी के बीच अपना जन्मदिन नहीं मनाने का फैसला किया है। उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को राहत कार्यों में शामिल होने के लिए कहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here