चीनी वैज्ञानिकों के एक दल ने हाल ही में दावा किया है कि कोरोनावायरस पहली बार भारत से होकर दुनिया भर में फैला। चीन के इस दावे को भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने खारिज कर दिया है। चीनी वैज्ञानिकों की ओर से जिस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है, उसमें कहा गया है कि चीन से पहले भी भारत वायरस की चपेट में आ चुका था। हालांकि अन्य कई वैज्ञानिकों ने चीन के इस खोखले दावे को खारिज कर दिया है।
नई दिल्ली में श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट से माइक्रोबायोलॉजी की वरिष्ठ सलाहकार ज्योति मुत्ता ने कहा, “यह वैज्ञानिक आधार के बिना एक काल्पनिक सिद्धांत है।”उन्होंने कहा, “किसी भी प्रकोप की जांच शुरू करने की आवश्यकता है, जहां से पहला मामला उभरा।”
हालांकि, चीन में वैज्ञानिकों की एक हालिया रिपोर्ट में यह कुतर्क दिया गया है कि कोविड-19 का प्रकोप सबसे पहले भारत में हुआ हो सकता है। चीनी वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में वायरस का जन्म वुहान प्रकोप से तीन या चार महीने पहले हुआ हो सकता है।
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चीन का नया सिद्धांत
इन वैज्ञानिकों का कहना है कि वर्ष 2019 के जुलाई या अगस्त में भारत में कोरोनावायरस पनपा होगा। चीन का यह नया खोखला सिद्धांत, ऐसे समय में सामने आया है, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 के लिए जिम्मेदार वायरस के स्रोत की लंबे समय से प्रतीक्षित जांच शुरू करने की घोषणा की है।
द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के एक वरिष्ठ रिसर्च फेलो ओमन जॉन के अनुसार, अब तक के वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि वायरस वास्तव में चीन में वुहान में उत्पन्न हुआ था।
उन्होंने कहा कि किसी भी दावे को सबूतों पर आधारित होना चाहिए और ऐसे प्रमाण हैं, जो बताते हैं कि वायरस की शुरूआत चीन में ही हुई थी।
गुरुग्राम स्थित फोर्टिस अस्पताल में न्यूरोलॉजी के निदेशक प्रवीण गुप्ता ने इसे चीन की चालबाजी करार दिया है और कहा है कि यह चीन की ओर से किए जाने वाले दोषपूर्ण प्रयासों की श्रृंखला का एक हिस्सा है, जो अपने दोष दूसरे पर मढ़ने का प्रयास कर रहा है। (आईएएनएस)