‘स्कैम 1992’ के लिए डायलॉग लिखना क्यों था चुनौतीपूर्ण?

स्कैम-1992 को बहुत बातूनी होने के बावजूद मैं एक मसालेदार स्पर्श देना चाहता था और प्रत्येक चरित्र को अलग पेश करना चाहता था: करण व्यास

Scam-1992 Sony Liv
स्क्रीनराइटर करण व्यास(IANS)

स्क्रीनराइटर करण व्यास का कहना है कि ‘स्कैम 1992: हर्षद मेहता स्टोरी’ वेब सीरीज के संवादों को लिखते समय सबसे बड़ी चुनौती प्रत्येक चरित्र को अलग पहचान देना था। व्यास ने आईएएनएस से कहा, “शो के लिए डायलॉग लिखते समय सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि उसमें 300 से अधिक बोलने वाले किरदार हैं, अगर मैं गलत नहीं हूं और चुनौती यह थी कि वे सभी एक-दूसरे से अलग तरीके से बात करें।”

उन्होंने आगे कहा, “एक तरह से वे सभी एक ही सामान के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन उन्हें एक समान बोली नहीं देनी चाहिए। हालांकि यह एक फायनांनशियल ड्रामा है, ऐसे में अधिकांश दृश्य में भारी संवाद है। बहुत बातूनी होने के बावजूद मैं एक मसालेदार स्पर्श देना चाहता था और प्रत्येक चरित्र को अलग पेश करना चाहता था।”

इसके लिए व्यास ने प्रत्येक चरित्र की ‘संवादों की भाषा, लहजे और स्टाइल’ को एक-दूसरे से अलग बनाने की कोशिश की।

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अहमदाबाद से ताल्लुक रखने वाले व्यास ने आगे कहा, “हर्षद के पास अपनी बात कहने और चीजों को समझाने का अपना तरीका है, तो सुचेता दलाल बहुत अलग हैं और देबाशीष बसु भी चीजों को बहुत अलग तरीके से और बातों के साथ समझाते हैं। इसी तरह, आरबीआई गवर्नर अलग हैं। इसलिए, सबसे बड़ी चुनौती और प्रक्रिया प्रत्येक चरित्र को एक अलग पहचान और अद्वितीय संवाद देना था, ताकि वे व्यक्तिगत रूप से अलग खड़े हों।”

फिल्मकार हंसल मेहता की सीरीज भारतीय शेयर बाजार में सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक की कहानी बताती है। यह वित्तीय थ्रिलर देबाशीष बसु और सुचेता दलाल की पुस्तक ‘द स्कैम: हू वॉन, हू लॉस्ट, हू गॉट अवे’ पर आधारित है।(आईएएनएस)

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