आज कल बच्चों के हाथ में गैजेट्स का होना आम बात हो गया है। कम उम्र में ही बच्चे उन पर अपना हाथ जमा लेते हैं। उन गैजेट्स पर गेम्स खेलना या यू ट्यूब चला कर बैठ जाना, छोटे बच्चों का मनपसन्द काम है। पर सोचिए अगर आपको बच्चों की उस खुशी की कीमत के बदले 11 लाख रुपए चुकाने पड़ें, तो आप क्या करेंगे?
इसका उदाहरण न्यू यॉर्क की रहने वाली जेसिका जॉनसन को तब मिला जब उनके खाते से एप्पल को 11 लाख रुपए का भुगतान किया गया। और यह हक़ीक़त, हादसा तब कहलाई जब एप्पल (Apple) ने पैसे वापस करने की मांग पर हाथ खड़े कर लिए।
आपको ज्ञात होगा कि पूरा विश्व अभी उस दौर से गुज़र रहा है जहाँ लोगों की सैलरियों पर कैंची चलाई जा चुकी है। ऐसी स्थिति में जेसिका जॉनसन पर पड़ा यह कहर ना जाने उनकी ज़िन्दगी में क्या रंग लाएगा।
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क्या है मामला ?
जुलाई महीने में पहली बार एप्पल उपयोगकर्ता जेसिका जॉनसन को इस लेन-देन की भनक पड़ी। जेसिका के 6 साल के बेटे जॉर्ज जॉनसन ने उसी महीने में उनके आई पैड (iPad) पर गेम्स खेलना शुरू किया था। इसी बीच उसने ऐप्पल ऐप स्टोर (Apple App Store) पर इन ऐप्स (In-Apps) की खरीदारी शुरू कर दी। जॉर्ज अपने आई पैड (iPad) गेम में अलग अलग तरीके के ऐड-ऑन्स (add-ons) भी खरीदने लगा। गेम्स में ऐड-ऑन्स (add-ons) खरीदने के बाद प्लेयर के पास कई नई सुविधाएं आ जाती हैं जो खेल का रोमांच कायम रखने में उपयोगी साबित होती हैं।
8 जुलाई को जैसे ही पहली बार उनके खाते से 1.8 लाख की भारी रकम डेबिट हुई, जेसिका को किसी स्कैम की आशंका होने लगी। उन्हें लगा कि यह किसी हैकर का काम होगा। इसलिए उन्होंने धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवा दिया। हालांकि, जांच में पता चला कि यह सारी खरीदारी वास्तव में उन्हीं के अकाउंट से हुई है।
एप्पल ने दिखाया बाहर का रास्ता
इसके बाद जेसिका ने एप्पल (Apple) का दरवाज़ा खटखटाया पर उधर भी निराशा ही हाथ लगी। 60 दिनों के भीतर पैसों का दावा ना करने की वजह से एप्पल ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।
जेसिका ने उन्हें बताया कि उनकी सैलरी में से 80 प्रतिशत की कटौती हो चुकी है। और आखिरी बार उन्हें मार्च में अपना पे-चेक मिला था। इन दलीलों के बावजूद एप्पल अपने निर्णय पर अड़ा रहा। एप्पल (Apple) ने जेसिका की लापरवाही पर सवाल खड़े करते हुए उनसे आई पैड में पैरेंटल कंट्रोल ना रखने की वजह पूछी। एप्पल के इस फीचर से जेसिका बिलकुल परिचित नहीं थीं।
न्यू यॉर्क में हुई घटना,इस तरह की कोई पहली घटना नहीं थी। ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं जहाँ बच्चों ने ऑनलाइन गेमिंग के लिए माता-पिता के पैसों को जाने-अनजाने में पानी की तरह बहा दिया है।
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भारत के तमिल नाडु राज्य में एक 12 साल के लड़के ने अपनी माँ के बैंक अकाउंट से तीन महीने में तकरीबन 90,000 रुपए ऑनलाइन गेमिंग पर उड़ा दिए थे। जुलाई महीने में इससे मिलती जुलती खबर ने बाज़ार में हलचल मचा दी थी। जिसमें पंजाब के 17 साल के लड़के ने PUBG पर अपने माता-पिता के 16 लाख रुपए खर्च कर दिए थे।
स्थिति की गंभीरता का अनुमान तब लगता है जब हम लोग ओड़िशा में हुई घटना के करीब पहुंचते हैं। 13 साल के लड़के ने मात्र इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उसके पिता ने उसके द्वारा ऑनलाइन गेमिंग पर 91,000 रुपए बरबाद करने के उपरांत उसे डांट लगा दी थी।
कई बार माता-पिता अपने बच्चों को व्यस्त रखने के लिए उनके छोटे छोटे हाथों में गैजेट्स थमा देते हैं, जिनका खामियाज़ा या तो बच्चों की सेहत और उनके विचारों को भुगतना पड़ता है या माँ-पिता के बैंक अकाउंट में जमा धन राशि को। और जिन बच्चों के सिर ऑनलाइन गेमिंग का भूत सवार हो जाता है, फिर उनकी मति की दिशा का अंदाजा लगा पाना सीधी ऊँगली से घी निकालने बराबर है।