एनसीआर को हर साल सर्दियों में दम घोंटने वाले प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए इस बार पांच प्रमुख फॉर्मूले पर काम शुरू हुआ है। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के साथ केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालय समन्वय बनाकर काम करने में जुटे हैं।
केंद्र सरकार की बात करें तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण के साथ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, कृषि, सड़क और पेट्रोलियम मंत्रालय दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण रोकने की दिशा में काम कर रहा है। खास बात है कि केंद्र से लेकर राज्यों के बीच इस पूरे अभियान की मानीटरिंग पीएमओ से हो रही है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हवा की क्वालिटी सुधारने के लिए तैयार हुए एक्शन प्लान को केंद्र और राज्य मिलकर एक साथ धरातल पर उतारने में जुटे हैं।
बीते दिनों प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा इसको लेकर गठित टास्क फोर्स की बैठक भी कर चुके हैं। जिसमें चारों राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ केंद्रीय मंत्रालयों के अफसरों ने भी हिस्सा लिया था। इस दौरान कई निर्देश भी राज्यों को जारी हुए थे।
इस पूरे अभियान से जुड़े एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “प्रदूषण रोकने के लिए यूं तो हर वर्ष कार्ययोजनाएं बनती हैं, मगर इस बार इसे सख्ती से लागू करने की कोशिशें चल रही हैं। पीएमओ लगातार पूरे अभियान की मॉनीटरिंग कर रहा है।”
फसल अवशेष प्रबंधन
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम करने के लिए हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में फसल अवशेष प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है। प्रदूषण रोकने के लिए तैयार हुए एक्शन प्लान में फसल अवशेष प्रबंधन को प्रमुखता दी गई है। फसलों के अवशेष यानी पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सख्ती बरतने का निर्देश जारी है। फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए जमीनी स्तर पर मशीनों की तैनाती और उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी टास्क फोर्स ने जोर दिया है। कृषि मंत्रालय को निर्देश दिया गया है कि फसल अवशेष प्रबंधन से जुड़ीं मशीनों को किसानों तक समय से पहुंचाया जाए।
ईंधन संयंत्रों की स्थापना
फसलों के अवशेष पर आधारित बिजली, ईंधन संयंत्रों की स्थापना पर भी जोर देने की बात चल रही है। दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से इस तरह के संयंत्रों को प्राथमिकता वाले ऋण क्षेत्र में शामिल किया गया है। ऐसे संयंत्रों की तेजी से तैनाती के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की ओर से संयुक्त रूप से एक कार्य योजना तैयार करने की कोशिश चल रही है।
फसल विविधीकरण
फसल के विविधीकरण यानी फसलों का पैटर्न बदलकर खेती करने से भी प्रदूषण की समस्या रोकी जा सकती है। फसल विविधीकरण से किसान ज्यादा फसलें पैदा कर सकते हैं। इससे खेतों में पराली जलाने के बजाए उसी में वह बुआई कर सकते हैं। दरअसल, खेत में पराली जलाने से जमीन की उर्वरता पर असर पड़ता है, क्योंकि जमीन में मौजूद किसान मित्र कीट हो जाते हैं।
पर्याप्त संख्या में तैनात होंगे अफसर
हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने से रोकने के लिए जमीनी निगरानी तेज करने के लिए टीमें तैनात होंगी। पीएमओ की ओर से गठित टास्क फोर्स ने विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में उन स्थानों पर अफसरों की तैनाती करने को कहा है, जहां हर साल पराली जलाने की सर्वाधिक घटनाएं होती हैं।
दिल्ली में न जले खुले में कचरा
दिल्ली में हर साल कई स्थानों पर खुले में कचरा जलाने की भी घटनाएं होती हैं। इस बार ऐसी घटनाएं रोकने के लिए खास प्लान तैयार हुआ है। खुले में कचरे को जलाने से रोकने के लिए टीमों की तैनाती करने पर जोर दिया गया है। हॉट स्पॉट चिन्हित कर काम करने की तैयारी है। एनसीआर में औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योग द्वारा उत्सर्जन मानदंडों के अनुपालन पर भी जोर दिया जाएगा। (आईएएनएस)