प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक चुनी हुई सरकार के मुखिया के रूप में यात्रा ठीक 20 वर्ष पूर्व आज ही के दिन शुरू हुई थी।
वह गुजरात के लिए एक बहुत ही कठिन समय था, जब भुज में आए भूकंप ने गुजरात में भारी तबाही मचाई थी। ऐसे मुश्किल हालात में नरेन्द्र मोदी ने गुजरात की कमान संभाली थी। लेकिन उस दिन उन्होंने सत्ता की जो कमान संभाली तो फिर आज तक पीछे मुड़कर नहीं देखा।
गुजरात में विकास का एक ऐसा दौर शुरू हुआ, जो सपना बनकर बाद में देश के एक सौ तीस करोड़ लोगों की आंखों में भी बस गया। वे हमेशा ही सबके लिए विकास के रास्ते पर गतिमान रहे। अपने और अपनी सरकार के खिलाफ की जाती रही साजिशों और बेबुनियाद विवादों से वे कभी हतोत्साहित नहीं हुए। उनके कार्य और उनकी उपलब्धियों हमेशा उनके पक्ष में बोलती रहीं।
चाहे मुश्किल से मुश्किल दौर में राहत कार्यों को आगे बढ़कर नेतृत्व देने की बात हो या गुजरात में मैन्यूफैक्च रिंग बेस बढ़ाने का संकल्प हो, राज्य में कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक अभियान की शुरूआत करनी हो या फिर विश्वस्तरीय शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की पहल – विकास का कोई भी पक्ष सुशासन के उनके मंत्र और उनकी शोधपूर्ण दृष्टि से अछूता नहीं रहा।
श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात आशा का एक प्रकाश-स्तंभ बन गया। इसके साथ ही यह राज्य न्यू इंडिया की आकांक्षाओं को भी प्रतिबिंबित करने लगा। श्री नरेन्द्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व की मांग देश भर से उठने लगी। वे देश की युवाओं के सपनों के प्रतीक बन गए।
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आखिर में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें 2013 में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। गुजरात के विकास मॉडल से होते हुए 21वीं सदी के नए भारत के विकास मॉडल को लेकर नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को मिला समर्थन 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के रूप में सामने आया।
2014 में एक नए भारत का उदय हुआ, जब श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को पहली बार पूर्ण बहुमत हासिल हुई। सत्ता में आते ही एक प्रधान सेवक के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबों, पीड़ितों, वंचितों और शोषितों के प्रति अपने समर्पण भाव को प्राथमिकता दी। जन धन योजना, मुद्रा योजना, जन सुरक्षा योजना, उज्वला योजना, उजाला योजना, प्रधान मंत्री आवास योजना, सौभाग्य योजना, भीम-यूपीआई योजना, आयुष्मान भारत एवं पीएम-किसान जैसे जन कल्याण कार्यक्रमों ने भारत की तस्वीर बदल दी।
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गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करते हुए वे भारतीय संविधान के आदर्शों के प्रति समर्पित रहे। भारतीय संस्कृति और अनेकता में एकता के मंत्र को समाहित करते हुए वे हमेशा ही राष्ट्रहित के प्रति कटिबद्ध रहे। किसी भी चुनौती के लिए हमेशा तैयार रहने वाले श्री मोदी ने भारत की छवि को बेहतर बनाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी।
अपने कुशल नेतृत्व क्षमता से वे एक विश्वनेता के रूप में सामने आए ही, भारत को भी विश्वगुरु बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया। भारत में जारी आर्थिक और सामाजिक विकास से जुड़े आंदोलनों की वजह से आज देश सभी मोचरें पर खुद को समर्थ और सुरक्षित महसूस करता है।
आज नरेन्द्र मोदी जन-विश्वास का दूसरा नाम है। जब-जब कोई मुसीबत सामने आती है, गरीबों के साथ उनकी बॉन्डिंग और बढ़ जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि गरीबों के लिए उन्होंने जो कुछ किया है, वो शायद ही कोई दूसरा प्रधानमंत्री अब तक कर पाया हो। यही वो जन-भावना और आश्वासन है, जिसकी वजह से उन्हें पहले से कहीं ज्यादा बहुमत प्राप्त हुआ है। हालांकि, अभी आधा कार्य ही संपन्न हुआ है और सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ न्यू इंडिया के निर्माण की यात्रा पूरी होनी शेष है। (आईएएनएस)