चीन ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है। भारत की ओर से 44 नए पुलों का उद्घाटन किए जाने से बौखलाए चीन ने कहा है कि वह लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) के रूप में मान्यता नहीं देता और भारत ने इसे अवैध रूप से दर्जा दिया है। चीन की ओर से यह टिप्पणी अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ द्वारा दिए गए बयान के तीन दिन बाद आई है। पोम्पियो ने कहा था कि चीन ने भारत के खिलाफ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 60,000 सैनिकों को तैनात किया है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने मीडिया को बताया कि बीजिंग क्षेत्र में भारत के बुनियादी ढांचे के निर्माण का विरोध करता है। वह लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन के साथ लगती एलएसी के पास बनाए गए 44 नए पुलों से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे, जिनका हाल ही में उद्घाटन किया गया है।
लिजियान ने मीडिया से कहा, “सबसे पहले मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि चीन अवैध रूप से केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देता है। हम सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य विवाद के उद्देश्य से बुनियादी सुविधाओं के विकास के खिलाफ हैं।”
उन्होंने कहा, “आम सहमति के आधार पर किसी भी पक्ष में सीमा के आसपास ऐसा कदम नहीं उठाया जाना चाहिए, जिससे तनाव बढ़े।”
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सीमा के साथ लगते इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारतीय पक्ष को दोषी ठहराते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि किसी भी पक्ष को बॉर्डर के इलाकों पर ऐसे एक्शन लेने से बचना चाहिए, जिनसे स्थिति जटिल हो सकती है।
मंत्रालय ने सीमा पर शांति और अमन कायम रखे जाने पर जोर दिया।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने शुक्रवार को कहा था कि चीन भारतीय सीमा के आसपास 60 हजार सैनिकों की तैनाती कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि तीन प्रमुख इंडो-पैसिफिक लोकतंत्र भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे में हैं। पोम्पियो के इस बयान के बाद चीन की बौखलाहट साफ तौर पर देखी जा सकती है। उसे अमेरिकी विदेश मंत्री का बयान मिर्ची की तरह लगा है।
भारतीय और चीनी सेना के बीच मई के बाद से ही पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास गतिरोध बना हुआ है और दोनों देशों की सेनाएं तभी से आमने-सामने हैं।
जून में लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच खूनी संघर्ष भी देखने को मिला था, जब दोनों सेनाओं के बीच एक हिंसक झड़प हो गई थी। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिकों ने अपनी शहादत दी थी और कुछ चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे।(आईएएनएस)