‘खाड़ी के देशों से भेजी गई रकम मास्क खरीदने के लिए नहीं थी’

पीएफआई इस धन से राष्ट्र विरोधी कट्टरपंथी एवं आतंकवादी विचारों के प्रचार तथा नापाक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा देगा।

By: आनंद सिंह

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस साल फरवरी में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और इसके स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट इन इंडिया (CFI) के पांच पदाधिकारियों के खिलाफ अपना पहला आरोप पत्र दायर (चार्जशीट) किया है। चार्जशीट के मुताबिक, अरेस्ट कर लिए गए सीएफआई के महासचिव के.ए. रऊफ शरीफ ने खाड़ी के देशों से जो रकम प्राप्त की थी, वह कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान मास्क खरीदने अथवा कमीशन के लिए नहीं थी, बल्कि यह एक छलावा था जिसके तहत पीएफआई के सदस्य नौफाल शरीफ और अन्य से पैसे भेजा जा रहा थे।

ईडी की चार्जशीट, जिसका आईएएनएस ने अध्ययन किया है, ने रऊफ शरीफ को उन दावों को खारिज कर दिया है जिसमें उसने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान पीपीई किट और मास्क आपूर्ति के लिए अन्य देशों से कमीशन के रूप में उसने 1.36 करोड़ रुपये लिए थे।

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पैसों को राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में लगाया जा रहा था।(फाइल फोटो)

ईडी ने अपने आरोप पत्र में कहा, “ओमान और कतर स्थित पीएफआई के सदस्य नौफाल शरीफ और अन्य व्यक्तियों के साथ लेन-देन को अंतर्राष्ट्रीय कारोबार से जुड़े भुगतान और कमीशन आदि की आड़ में भारत को धन हस्तांतरित करने, और राष्ट्र विरोधी कट्टरपंथी एवं आतंकवादी विचारों के प्रचार तथा नापाक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा देने में इस तरह के धन का उपयोग करने के लिए एक सुनियोजित तंत्र के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।”

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चार्जशीट के मुताबिक, रऊफ शरीफ ने कहा कि उसे अपने दोस्त द्वारा ऑर्डर किए गए मास्क के 2,000 बक्से के पेमेंट के रूप में 2020-21 में नौफाल से 24.26 लाख रुपये मिले। ईडी ने दावा किया कि रऊफ शरीफ ने यह भी कहा कि ये मास्क जयनमोहन से खरीदे गए थे जो चीन के फोशान शिंदे में लिजी ट्रेडिंग के तहत कारोबार कर रहे थे। ईडी ने कहा कि उसके पेन ड्राइव से कुछ दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं।(आईएएनएस-SHM)

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